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भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और महू विधायक कैलाश विजयवर्गीय को हाई कोर्ट में उपस्थित होकर चुनाव याचिका में बयान देना थे, लेकिन वे नहीं आए। उनकी ओर से आवेदन देकर कहा गया कि उन्हें संसद सत्र में शामिल होना है इसलिए एक महीने का समय दिया जाए। आवेदन खारिज करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि वे 25 नवंबर को अनिवार्य रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर बयान दर्ज कराएं। ऐसा नहीं किया तो कोर्ट उनका सुनवाई का अधिकार समाप्त कर सकती है।
विजयवर्गीय के खिलाफ यह चुनाव याचिका अंतरसिंह दरबार ने दायर की है। उनकी ओर से पैरवी एडवोकेट रविंद्रसिंह छाबड़ा और विभोर खंडेलवाल कर रहे हैं। याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से गवाही पूरी हो चुकी है। अब विजयवर्गीय के बयान होना है। पिछली सुनवाई पर भी वे अनुपस्थित रहे थे। याचिका में विजयवर्गीय पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता का उलंघन किया है। उनका निर्वाचन शून्य घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता ने अपने समर्थन में दो दर्जन से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज कराए हैं।
पिछली सुनवाई पर विजयवर्गीय ने आवेदन देकर दो महीने का समय मांगा था। कहा था कि यूपी चुनाव में व्यस्त रहेंगे कि वजह से वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकेंगे। कोर्ट ने आवेदन खारिज करते हुए गुरुवार की सुनवाई तय की थी।
विजयवर्गीय ने गुरुवार आवेदन देकर संसद सत्र में शामिल होने के नाम पर एक महीने का समय मांगा था। याचिकाकर्ता के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि दोनों आवेदन में विरोधाभासी बातें हैं। कभी चुनाव में व्यस्तता के नाम पर तो कभी संसद सत्र में शामिल होने के नाम पर समय मांगा जा रहा है। कोर्ट ने विजयवर्गीय को 25 नवंबर को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए।
विजयवर्गीय के अनुपस्थिति रहने की वजह से कोर्ट अगली सुनवाई पर उनकी ओर से साक्ष्य समाप्त कर सकती है। ऐसा होता है तो विजयवर्गीय इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में चुनाव याचिका की सुनवाई लंबित होगी और इसका फायदा विजयवर्गीय को मिलेगा।
MadhyaBharat
18 November 2016
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