बासमती चावल को लेकर मध्यप्रदेश अदालत में
basmati rice
 
मध्यप्रदेश के बासमती चावल को बासमती का दर्जा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने अब दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगा दी है। मद्रास हाईकोर्ट और पंजीयन प्राधिकरण में पहले से केस चल रहा है। सरकार का दावा है कि प्रदेश में बासमती किस्म का चावल लंबे समय से होता है, लेकिन केंद्र सरकार इसे मानने को तैयार नहीं है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने पत्र लिखकर प्रदेश को बासमती चावल के भौगोलिक क्षेत्र में शामिल करने से इंकार कर दिया था। केंद्र की संस्था एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) ने जीआई (ज्योग्राफिकल इंडीकेशन रजिस्ट्री) चेन्न्ई में मध्यप्रदेश को बासमती उत्पादक राज्यों की सूची में शामिल करने पर आपत्ति की थी।
एपीडा का कहना है कि गंगा-यमुना बेसिन में ही बासमती होती है, जबकि प्रदेश सरकार का दावा है कि प्रदेश में अंग्रेजों के जमाने में भी बासमती होती थी। इसके पक्ष में कई तर्क भी रखे गए हैं और कानूनी लड़ाई सरकार लड़ रही है। इसी कड़ी में अब दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की धान को बासमती का दर्जा दिलाने के लिए हर फोरम पर पूरी दमदारी से पक्ष रखा जाए। प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा का कहना है कि हर स्तर पर विभाग निगरानी कर रहा है। दिसंबर में कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी।