छत्तीसगढ़ में बनो नई सोच
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ऑक्सफैम इंडिया तथा साझा मंच ने संयुक्त रूप से महिला हिंसा के विरूद्ध “बनो नयी सोच” अभियान का शुभारम्भ ५ दिसम्बर को एक रंगारंग कार्यक्रम से कियाI इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के १२ जिलों से लगभग ७०० महिलाएं, पुरुष और युवाओं ने महिला हिंसा को प्रतिपादित करती हुई सामाजिक प्रथाओं को बदलने का प्रण कियाI इस राष्ट्रीय अभियान कि शुरुआत बिहार से संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित महिला हिंसा की समाप्ति के लिए मनाये जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय दिवस के २५वें सालगिरह के शुभवसर पर किया गयाI 
कार्यक्रम में अतिरिक्त महानिदेशक (पुलिस विभाग) (योजना तथा प्रावधान, साइबर क्राइम) श्री राजेंद्र कुमार विज, राज्य महिला आयोग कि अध्यक्षा श्रीमती हर्षिता पाण्डेय, अध्यक्ष राज्य युवा आयोग श्री कमल चन्द्र भंजदेव, रायपुर जिला विधिक सहायता प्राधिकरण श्री उमेश चौहान, ऑक्सफैम इंडिया, थीम लीड जेंडर जस्टिस सुश्री जूली थेकुडन, नेहरु युवा केंद्र के प्रतिनिधी एवं संयुक्त राष्ट्र संघ के वालंटियर श्री अनिल मिश्र तथा कई प्रसिध्द सामाजिक संस्था के सदस्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुएI
“बनो नयी सोच” अभियान का उद्देश्य समाज के उस सोच और प्रथा को चुनौती देना और बदलना है जिनके कारण महिलाओं को “कोख से कब्र” तक हिंसा का सामना करना पड़ता हैI 
कार्यक्रम को उद्बोधित करते हुए अतिरिक्त महानिदेशक (पुलिस विभाग) (योजना तथा प्रावधान, साइबर क्राइम) श्री राजेंद्र कुमार विज ने कहा कि, “ गत कुछ वर्षों से महिलाएं एवं लडकियां घर से बाहर निकल रही हैं, समाज में अपनी वित्तीय स्वायत्तता को स्थापित करने के लिए. एक ओर जहां यह एक प्रशंसनीय बात है, वहीँ हमें ये भी याद रखना होगा कि घरों के अन्दर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना एक कठिन कार्य होता जा रहा है.जब हम पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लेते हैं तो हमें ये पढाया जाता है कि अपराधिक मानसिकता मनुष्य को अपने घर से, पालन पोषण से तथा समाजीकरण से ही मिलता है. इसलिए हमें ये याद रखना होगा कि हम अपने बच्चो को कैसी परवरिश दे रहे हैं.  
वहीँ राज्य महिला आयोग कि अध्यक्षा श्रीमती हर्षिता पाण्डेय ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, कि एक ओर तो हम देवियों की पूजा करते हैं क्यूंकि हमें जीवन में लाभ एंड समृद्धि मिलेI वहीँ दूसरी ओर हम अपने घर में महिलाओं तथा बच्चियों के साथ हिंसात्मक व्यवहार करते हैंI इस दोहरी मानसिकता का अंत करना होगाI उन्होंने ऑक्सफैम को बधाई देते हुए कहा कि संस्था ने मंच दोनों ही तरफ महिलाओं को समान भागीदारी दी है. 
अध्यक्ष राज्य युवा आयोग श्री कमल चन्द्र भंजदेव ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ में महिला हिंसा एक ऐतिहासिक सत्य नहीं हैI परन्तु आज के दौर में यह एक भयावह सच्चाई है. इस सोच को ख़त्म करने के लिए हमें अपने बच्चों को शुरुआत से ही नैतिक शिक्षा देना होगा. इसके लिए माता पिता तथा स्कूल दोनों ज़िम्मेदार हैं.
तत्पश्चात ऑक्सफैम इंडिया रायपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक आनंद शुक्ल ने कहा कि महिला हिंसा के लिए समाज का हर वर्ग ज़िम्मेदार है. और यह देख के ख़ुशी होती है कि आज इसके खिलाफ मंच पर पुलिस विभाग के अधिकारी, सामाजिक संगठन और महिला एक्टिविस्ट एक साथ आये हैं.  
ऑक्सफैम इंडिया की थीम लीड (लैंगिक न्याय) जूली थूक्काडन ने कहा कि यह जानकार भय होता है कि आज भी भारत में ५४% महिलाएं तथा ५१% पुरुषों की यह सोच है कि महिलाओं को पीटा जाना सही हैI वहीँ राष्ट्रीय परिवार तथा स्वास्थ्य सर्वे III के अनुसार छत्तीसगढ़ में हर तीसरी विवाहित महिला ने घरेलु हिंसा का सामना किया हैI उन्होंने आगे कहा कि इस सोच को बदलना ही महिला हिंसा को ख़त्म करने का एक कारगर कदम हैI ३० से भी ज्यादा देश समय के साथ इस अभियान का हिस्सा बनेंगेI  हम साथ में महिलाओं तथा बच्चियो के विरुध्ध हिंसा को समाप्त कर सकते हैं.
कार्यक्रम कि शुरुआत में मेहमानो का पौधों से स्वागत किया गयाI संघर्ष के गीतों तथा नेहरू युवा केंद्र द्वारा आकर्षक नुक्कड़ नाटक ने भी समां बाँधाI एवं महिला हिंसा कि महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पड़ाव को दर्शाते हुए एक पंडवानी प्रस्तुत की गयीI
मंच का सञ्चालन हेमलता राठौर और लता नेताम ने किया और आभार प्रदर्शन वर्णिका सिन्दुरिया ने किया. अंत में विशाल मानव श्रृंखला का निर्माण किया गया तथा एक महिला हिंसा मुक्त समाज की संरचना का प्रण लिया गयाI