अपनी देशज परम्पराओं को अपनाना होगा
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जीवन के संस्कारों से जोड़ रही है नर्मदा यात्रा 

जन और जीवन में सुख, शांति, आनंद, समृद्धि, विकास और खुशहाली के लिए हमें एक बार फिर अपनी देशज परम्पराओं को अपनाना होगा। हमें भारतीय जीवन के उन संस्कारों को अपनी जीवन-चर्या में पुन: शामिल करना होगा, जिन्हें आज उपेक्षित किया जाता है। एक अहम् उद्देश्य के साथ आरंभ हुई नर्मदा सेवा यात्रा अपने मकसद से जुड़े ये संदेश जबलपुर जिले के विकासखंड शहपुरा के ग्राम डुड़वारा, ललपुर और बगरई में ग्रामीण जनों तक पहुँचाने में सफल हुई।

विचार और चेतना के अनुष्ठान के रूप में जारी नर्मदा सेवा यात्रा तीसरे सप्ताह के अंतिम दिन लम्हेटी ग्राम से ध्वज पूजन और आरती के बाद ग्राम डुड़वारा के लिए रवाना हुई। इसके पूर्व सुबह शनि मंदिर के पास श्रमदान द्वारा लम्हेटी घाट की साफ-सफाई की गई।

यात्रा के दौरान विचारकों, समाजसेवियों और जन-प्रतिनिधियों ने कहा कि यात्रा आम लोगों को जीवन के संस्कारों से जोड़ रही है। ग्रामीणों को समझाया गया कि संस्कार स्व-प्रेरणा से अपने जीवन में उतारे जाते हैं। लोगों से कहा गया कि स्व-इच्छता से ही स्वच्छता होगी, किसी नियम-कानून से नहीं। स्वच्छता का संस्कार हमें खुले में शौच करने से रोकेगा तथा नदियों में पूजन-सामग्री विसर्जित करने की जगह विसर्जन कुंडों का उपयोग करने की प्रेरणा देगा।

यात्रा-दल ग्रामवासियों को यह समझाने में सफल हुआ कि हमारे संस्कारों और हमारी आवश्यकताओं में बहुत बारीक लेकिन मजबूत रिश्ता है। ये आपस में गुँथी हुई हैं। वृक्ष हमारे मित्र है। वृक्ष वर्षा का जल संचित करते हैं। वृक्षों से वर्षा होती है। खेती वर्षा पर निर्भर है। श्रमदान से स्वच्छता संभव है तो अच्छी सेहत इसका पुरस्कार है।

ग्राम डुड़वारा के शासकीय स्कूल के मैदान में रैली और वृक्षारोपण के बाद कृषि संगोष्ठी में ग्रामवासियों को समझाईश दी गई कि रासायनिक खादों से अपने खेतों को बंजर बनाने की जगह जैविक खेती की देशज परम्परा अपनायें। ग्राम ललपुर के पंचायत भवन में हुए जन-संवाद में दल ने गाँव के लोगों को सलाह दी कि स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकास की योजनाएँ तैयार करें। इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगें। ग्राम बगरई में माँ नर्मदा की सांध्य आरती के पूर्व गाँव के लोगों से बरसात की हर बूँद सहेजने का आग्रह किया गया।

यात्रा लम्हेटी से शुरू होकर डुड़वारा और ललपुर होते हुए बगरई में रात्रि विश्राम के लिए रुकी। यात्रा मार्ग पर दोनों ओर खड़े लोगों और रास्ते के छोटे गाँव-टोलों के निवासियों ने पुष्प-वर्षा और अक्षत-टीका लगाकर यात्रियों का स्वागत किया। महिलाएँ सिर पर मंगल-कलश सजाये मंगलाचरण के गीत गा रही थीं। बड़ी संख्या में स्कूलों और आँगनवाड़ियों के बच्चे सामाजिक मुद्दों से जुड़े नारों की तख्तियाँ लिए नजर आ रहे थे। जगह-जगह स्वागत द्वार और घरों पर तोरण सजाये गये थे। प्रतिपल नर्मदा- वंदन के सस्वर जयघोष यात्रियों को दोगुने उत्साह से भर रहे थे। साधु-साध्वियों की कीर्तन प्रस्तुतियाँ वातावरण को नया रंग दे रही थी। घरों के सामने महिलाओं और बालिकाओं ने सम-सामयिक और ज्वलंत मुद्दों पर भी बहुत आकर्षक रांगोलियाँ बनाई थीं।

यात्रा में महामंडेलश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी, बरगी विधायक श्रीमती प्रतिभा सिंह, जिला भाजपा ग्रामीण अध्यक्ष श्री शिव पटेल, शहपुरा जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री अभिषेक सिंह और मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती हर्षिका सिंह शामिल थी।