कांग्रेस में घमासान
कांग्रेस में घमासान
अरुण यादव करेंगे कार्यकारिणी का विस्तारमध्यप्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व के प्रतिबढ़ रहे असंतोष एवं अपनी कुर्सी पर खतरा भांपते हुए अरुण यादव जल्द ही कार्यकारिणी का विस्तार करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें पार्टी के सभी बड़े नेताओं के समर्थकों को समायोजित कर असंतोष को थामने का प्रयास किया जाएगा। दरअसल जिस तरह से बीते कुछ दिनों में वरिष्ठ नेता कमलनाथ को प्रदेश की कमान सौंपे जाने की मांग उठ रही है, उसके बाद श्री यादव कार्यकारिणी के विस्तार को लेकर सक्रिय नजर आने लगे हैं। हाल ही में विधानसभा में कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने भी श्री नाथ को प्रदेश की कमान सौंपी जाने की मांग सार्वजनिक रूप से की है जिसका समर्थन अधिकांश पार्टी विधायकों ने भी किया।बाला बच्चन का कहना है कि कमलनाथ ने समर्थन किया है। बाला बच्चन का कहना है कि कमलनाथ के नेतृत्व मेें ही कांगे्रस मध्यप्रदेश में अगला चुनाव जीत सकेगी। बाला बच्चन की यह मांग सार्वजनिक होते ही कांगे्रस के विधायकों एवं कमलनाथ समर्थकों ने कमलनाथ को प्रदेश कांगे्रस की बागडोर सौंपे जाने की तेज मुहिम चला दी है, जिस कारण कांगे्रस नेताओं में सक्रियता बढऩे लगी है। अपने खिलाफ बढ़ रहे असंतोष को भांपते हुए प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव भी सक्रिया हो गए हैं और वे दिल्ली पहुंच गए हैं, जहां उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा है। सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ नेताओं से चर्चा में अरुण यादव ने अपनी कार्यकारिणी के विस्तार के संकेत दिए हैं। उन्होंने तीनों वरिष्ठ नेताओं से पदाधिकारी बनाए जाने वाले समर्थकों के नाम भी मांगे हैं। इस संबंध में यादव प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री मोहन प्रकाश से भी चर्चा कर सकते हैं। अरुण यादव द्वारा बनाई गई टीम को लेकर प्रदेश के कांग्रेसजनों में असंतोष छा रहा है, बीच में कार्यकारिणी के विस्तार की चर्चा भी शुरू हुई थी, लेकिन अरुण यादव ने अपनी टीम के विस्तार में रुचि नहीं ली। अब अपने खिलाफ बढ़ रहे असंतोष को रोकने के लिए अरुण यादव ने अपनी टीम का विस्तार करने की पहल शुरू की है। अब जब भी प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी बनेगी उसमें सभी वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों को मौका दिया जाएगा।इसी के साथ 6 जिलों के कांग्रेसाध्यक्षों की नियुक्तियां भी हो सकती हैं, जो लंबे समय से रुकी पड़ी थीं जिनमें भोपाल (शहर) रायसेन, जबलपुर (शहर) शामिल है। भोपाल शहर और रायसेन में वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी के समर्थकों को मौका दिया जा सकता है। मैहर विधानसभा के उपचुनाव में कांगे्रस की पराजय के बाद प्रदेश कांग्रेस में नए नेतृत्व की मांग उठने लगी , जो अब कांग्रेस विधायकों द्वारा चलाई गई मुहिम से और तेज हो गई है।एक वजह यह भीमप्र की राजनीति में वर्ष 1980 के बाद अर्जुन सिंह, कमलनाथ, विद्याचरण शुक्ल, माधवराव सिंधिया का दबदवा रहा। 1993 के बाद मप्र में अर्जुन सिंह, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, श्रीनिवास तिवारी तथा माधवराव सिंधिया के प्रभाव से कांगे्रस संगठन चलता रहा। 1993 से 2003 तक कमलनाथ, दिग्विजय सिंह की जोड़ी प्रदेश में काफी मजबूत हो गई। अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया की नई पार्टी बना लेने से कांगे्रस संगठन में उनका प्रभाव कम हुआ। 2003 में विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की अप्रत्याशित करारी हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दस वर्ष के संन्यास की घोषणा कर अपने समर्थकों को मझधार में छोड़ दिया। अर्जुन सिंह और कमलनाथ केंद्र में मंत्री बन गए। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं होने से अर्जुन सिंह तथा कमलनाथ की सक्रियता प्रदेश में काफी कम हो गई। माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उनका गुट भी प्रदेश में वर्षों अपेक्षित रहा, जिसके कारण मप्र के कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारी धीरे-धीरे निष्क्रिय होते चले गए।