भौतिकता की नहीं प्रेम, करुणा एवं मैत्री की शिक्षा आवश्यक
 दलाई लामा

तुरनाल (नेमावर) में यात्रा में धर्मगुरु  दलाई लामा एवं मुख्यमंत्री  चौहान हुए शामिल 

आज विश्व को भौतिकता की नहीं प्रेम, करुणा एवं मैत्री की शिक्षा दिया जाना आवश्यक है। भौतिक ज्ञान की नहीं अपितु भावनात्मक ज्ञान की आवश्यकता है, और समूचे विश्व को यह शिक्षा, यह ज्ञान केवल भारत ही प्रदान कर सकता है। भारत में विश्व को  आधुनिकता के ज्ञान के साथ आध्यात्मिकता का ज्ञान भी दे सकता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में नर्मदा सेवा यात्रा आयोजित कर पर्यावरण संरक्षण एवं नदी संरक्षण के क्षेत्र में अत्यंत सराहनीय कार्य किया है। धर्मगुरू श्री दलाई लामा ने आज देवास जिले के नेमावर के समीप तुरनाल ग्राम में नर्मदा सेवा यात्रा के कार्यक्रम में यह विचार प्रकट किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी, स्थानीय विधायक, जन-प्रतिनिधि, विभिन्न धर्म एवं संप्रदायों के संत,  अधिकारीगण उपस्थित थे।

जाति, धर्म एवं रंगभेद को दूर करना होगा

श्री दलाई लामा ने कहा कि विश्व में सुख, समृद्धि एवं शांति के लिए जाति, धर्म के भेद, रंगभेद अदि को दूर करना होगा । इसके लिए आवश्यक है कि हम सब अपनी पारस्परिक एकता को समझें। विश्व के समूचे सात अरब लोग एक हैं । मैं भी उन सात करोड़ लोगों में से एक हूँ। हमें स्वार्थ की सोच को छोड़ना होगा और एक दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भाव की भावना रखनी होगी।

मुख्यमंत्री के प्रयास सराहनीय

श्री दलाई लामा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, नदी संरक्षण के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा सेवा यात्रा के रूप में किए जा रहे प्रयास अत्यंत सराहनीय है। मेरी मुख्यमंत्री से गंभीर विषयों पर चर्चा हुई है। मैं उनके विचारों से सहमत हूँ। हमें मानव मात्र की तरक्की एवं उन्नति के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। कड़ी मेहनत करनी होगी। केवल बोलने से यह सब संभव नहीं है। हमें अपने पर्यावरण को पूर्ण रूप से स्वच्छ एवं पानी को निर्मल करना होगा।

पूर्वजों की धरोहर को बचाना होगा

श्री दलाई लामा ने कहा कि वृक्ष, पानी, हवा आदि के रूप में हमारे पूर्वजों ने जो धरोहर हमें दी है उसे हमें बचाना होगा। मैं स्वयं जल संरक्षण एवं पर्यावरण की स्वच्छता के लिए निरंतर प्रयास करता हूँ। पानी बचाने के लिए मैं कभी बाथ टब का इस्तेमाल नहीं करता अपितु शॉवर से ही नहाता हूँ।

ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अत्यंत आवश्यक

श्री दलाई लामा ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकांश जनता ग्रामों में निवास करती है। इसलिए यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो सुविधाएँ शहरों को मिलती हैं वे गाँव में भी होना चाहिए। तकनीकी विकास आवश्यक है परंतु इससे भी ज्यादा आवश्यक है हर व्यक्ति को भोजन, पानी, स्वच्छ हवा मिले । मुख्यमंत्री ने गाँव के विकास की बात कही है मैं उनकी सराहना करता हूँ। गाँव में भी शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय, मनोरंजन के लिए सिनेमा अदि होने चाहिए। वहाँ अच्छे अस्पताल भी होने चाहिए।

महिलाओं की अधिक सक्रिय भूमिका हो

श्री दलाई लामा ने कहा कि विकास में महिलाओं की अधिक सक्रिय भूमिका होनी चाहिए। पुरुषों की तुलना में महिलाएँ अधिक संवेदनशील होती हैं। दुनिया को बेहतर बनाने के लिए महिलाओं की उन्नति पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।

अहिंसा पर विशेष जोर दिया

दलाई लामा ने अपना वक्तव्य अंग्रेजी भाषा में दिया परंतु अहिंसा शब्द उन्होंने हिंदी में बोला तथा उसका विशेष महत्व बताया। उन्होंने बताया कि इसी से विश्व में सदभावना, प्रेम एवं शांति स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि भारत ही विश्व में एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जहाँ विभिन्न धर्मों के अनुयायी एक साथ, आपसी प्रेम सद्भावना एवं भाईचारे के साथ रहते हैं। यह इस देश की विशिष्टता है। भारत ही ऐसा देश है जो भौतिक प्रगति के साथ अंतर्ज्ञान को जोड़ सकता है।

स्पर्श से शांति एवं नई ऊर्जा मिली

इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज शिवराज सिंह चौहान ने अपने वक्तव्य में कहा कि धर्मगुरु श्री दलाई लामा विश्व के महान धर्म गुरु  एवं आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। उनके स्पर्श से आज मैंने आत्मिक शांति एवं नई ऊर्जा महसूस की है।

दुनिया की अदभुत यात्रा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नदी संरक्षण के क्षेत्र में नर्मदा सेवा यात्रा दुनिया की अद्भुत यात्रा बन गई है। इस यात्रा में जनता का उत्साह देखने लायक है। नर्मदा हमारी जीवन रेखा है, नर्मदा नहीं तो प्रदेश नहीं, प्रदेश नहीं तो हम नहीं। प्रदेश की लाखों हेक्टेयर भूमि पर नर्मदा से सिंचाई होती है। नर्मदा के जल को संरक्षित एवं स्वच्छ बनाने के साथ-साथ इसके आसपास पर्यटन की गतिविधियों को विकसित किया जाएगा।

दोनों तटों पर एक किलोमीटर दूर तक पेड़ लगाए जाएंगे

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि नर्मदा तट के दोनों ओर 1 किलोमीटर की दूरी तक फलदार पेड़ लगाए जाने की योजना है। वृक्षारोपण शासकीय एवं निजी दोनों भूमियों पर किया जाएगा। निजी भूमि पर वृक्षारोपण करने पर किसान को 20000 रूपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा तथा 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। इसकी मजदूरी शासन की मनरेगा योजना से दी जाएगी। इससे एक ओर नदी की धार बढ़ेगी तो दूसरी और किसानों की आय बढ़ेगी।

2 जुलाई को एक साथ लगेंगे करोडो पेड़:

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में आगामी 2 जुलाई को एक दिन में करोडो पेड़ नर्मदा के तट पर लगाए जाएंगे। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे नर्मदा सेवक के रूप में इस अभियान  में अपनी सक्रिय भागीदारी  निभाए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि नर्मदा नदी में एक भी बूँद गंदा पानी नहीं मिलने दिया जाएगा। गंदे पानी को पाइप लाइन द्वारा दूसरी तरफ ले जाकर स्वच्छ किया जाएगा तथा इसके बाद किसानों के खेतों में डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि पूजन की ऐसी पद्धति बनाई जाए जिससे कि नदी में गंदगी न हो। पूजन सामग्री को पूजन कुण्ड में ही डाला जाए।