भारत जैसी कोई जगह नहीं
उज्मा अहमद

उज्मा अहमद ने जब अपनी मां को गले लगाया तो उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे और फिर उसने झुककर अपनी तीन वर्षीय बेटी को गोद में उठा लिया. दिल्ली निवासी उज्मा पाकिस्तान में खराब समय बिताने के बाद गुरुवार (25 मई) को अपने घर लौटी और यहां मीडिया के साथ बातचीत के दौरान रह रह कर उसकी आंखों में आंसू आ जाते थे.

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा लौटने की अनुमति मिलने के बाद वह भारत लौट पाई. पाकिस्तान में उसका ताहिर अली नाम के व्यक्ति से जबरन निकाह करा दिया गया जिसने उसके सभी कागजात ले लिए थे. उसने अपने आतंक की दास्तां साझा की कि पाकिस्तान में उसे ‘तालिबान की तरह के इलाके’ में रहने के लिए बाध्य किया जाता था जिसे उसने ‘मौत का कुआं’ बताया.

विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रश्न नहीं पूछे गए. उसने बताया कि उसकी मुलाकात मलेशिया में अली से हुई थी और दोनों के बीच प्यार हो गया. वह मई की शुरुआत में उसके साथ पाकिस्तान चली गई. उसने कहा, ‘मैं छुट्टियां बिताने पाकिस्तान गई. मेरी योजना दस या 12 मई को लौट आने की थी. लेकिन जब मैं वहां पहुंची तो ऐसा नहीं था. आप इसे अपहरण की स्थिति कह सकते हैं.’

उसने कहा, ‘जब हमने वाघा सीमा पार की तो कुछ भी अच्छा महसूस नहीं हो रहा था.’ उज्मा ने कहा कि अली ने उसे नींद की गोलियां दीं और ‘एक असामान्य गांव’ में ले गया जिसे बुनेर बताया जाता था. उज्मा ने कहा कि लगता था कि यह खबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनेर जिले का सुदूर गांव था जहां तीन मई को अली ने बंदूक की नोक पर उससे शादी की.

उसने कहा, ‘भाषा पूरी तरह अलग थी और लोग भी असामान्य थे. मुझे वहां बंधक बनाकर रखा गया और पीटा गया.’ उज्मा ने कहा कि जिस घर में उसे रखा गया था वहां ‘बड़ी बंदूकें’ थीं और अली अपने साथ पिस्तौल रखता था. उसे प्रतिदिन गोलियों की आवाज सुनाई पड़ती थी. उसने कहा, ‘मुझे लगता था कि मैं वहां अकेली नहीं थी. वहां दूसरी लड़कियां भी थीं शायद भारतीय नागरिक नहीं थीं और संभवत: फिलिपीन की थीं. कई लड़कियां उस स्थान को छोड़ने में सक्षम नहीं थीं.’

संवाददाता सम्मेलन में अपनी कहानी सुनाते.. सुनाते वह भावुक हो रही थी जिसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी मौजूद थीं. उसने कहा कि वह ‘गोद ली हुई बच्ची’ थी, लेकिन सरकार ने महसूस कराया कि वह ‘भारत की बेटी’ है. सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित कराने के लिए उसने सुषमा, उनके मंत्रालय और इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग का धन्यवाद दिया.

उसने कहा, ‘मैं आज यहां केवल सुषमा मैडम के कारण हूं जिन्होंने पूरे प्रकरण के दौरान नजर बनाए रखा. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं ‘हिंदुस्तान की बेटी’ हूं, उनकी बेटी हूं और मुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है. इन शब्दों से मुझे ताकत मिली जब मैं पूरी तरह अंदर से टूट चुकी थी.’ यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह बुनेर से इस्लामाबाद कैसे पहुंची. लेकिन वहां पहुंचते ही उसने भारतीय उच्चायोग में शरण ले ली जिसने उसके मामले को आगे बढ़ाया, उसे कानूनी सहायता मुहैया कराई.

उज्मा ने कहा, ‘उन्होंने (सुषमा) मुझसे कहा कि मैं दो-तीन वर्षों तक उच्चायोग में ठहर सकती हूं, लेकिन वह उसे उस व्यक्ति (ताहिर) के पास नहीं लौटने देंगी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि सरकार इतना कुछ मेरे लिए कर सकती है.’ सुषमा ने बताया कि उज्मा इतना निराश हो गई थी कि उसने उच्चायोग के अधिकारियों से कहा कि अगर उसे नहीं बचाया गया तो वह आत्महत्या कर लेगी.

पाकिस्तान में भारत के उप उच्चायुक्त जे पी सिंह ने कहा, ‘वह उच्चायोग के काउंटर पर जब पहुंची तो काफी घबरा हुई थी. हम तुरंत उसे अंदर ले गए और हर तरह से उसका सहयोग किया.’ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार (24 मई) को उसे भारत लौटने की इजाजत दी जब उसने अदालत का दरवाजा खटखटाकर अली को दस्तावेज लौटाने का निर्देश देने की मांग की.