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रायपुर के स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 में पिछड़ने के बाद नगर निगम कचरा कलेक्शन को लेकर गंभीर हुआ है। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत जोन 3 में पहली 'ग्रीन गैंग' बनाई गई है।
गैंग में 16 महिलाएं हैं। इन्हें प्रशिक्षण देकर स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने, गीला-सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित करने और मासिक यूजर चार्ज वसूली का जिम्मा सौंपा गया है।
गुरुवार से 'गैंग' ने काम शुरू कर दिया। यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो इसे जोनवार लागू किया जाएगा। आयुक्त ने इसकी मासिक रिपोर्ट भी मांगी है। उल्लेखनीय है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में शहरर 129वीं रैंक पर आया। ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरा निष्पादन, खुले में शौचमुक्त और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन न होना प्रमुख वजहें थीं। इसलिए नगर निगम ने यह कदम उठाया है।
जोन 3 में 8 वार्ड आते हैं। इनमें 65 फ्लैट, 26 कॉलोनियां हैं। गैंग की सदस्य कचरा कलेक्शन के लिए रिक्शावालों के साथ क्षेत्रों में जाएंगी। लोगों को जागरूक करेंगी और निर्धारित समय के बाद दूसरे क्षेत्र में जाएंगी।
इन 16 महिलाओं के जरिए चरणबद्ध ढंग से स्वच्छता बनाए रखने में जनभागीदारी सुनिश्चित करने की तैयारी है। निगम से मिली जानकारी के मुताबिक स्व-सहायता समूह की महिलाओं से बनी 'ग्रीन गैंग' की सदस्यों को 5 हजार रुपए मासिक वेतन मिलेगा।
शहर के 70 वार्डों में करीब 13 लाख आबादी 2.20 लाख मकान हैं। एक वार्ड से कम से कम 2 लाख रुपए यूजर चार्ज की वसूली होनी चाहिए, लेकिन नहीं हो रही है। 4 से 5 वार्ड को छोड़ दें तो कई वार्ड ऐसे हैं, जहां से 10 हजार रुपए भी निगम के खाते में नहीं पहुंचते। इसलिए महिलाओं को जिम्मा सौंपा जा रहा है। वे कचरा कलेक्शन के लिए घर-घर पहुंचने वाले ठेका कर्मियों पर नजर रखेंगी, नहीं पहुंचने पर निगम को जानकारी देंगी।
जोन तीन के आयुक्त रमेश जायसवाल ने कहा आपके दरवाजे पर कचरा कलेक्शन करने वाला आ रहा है या निगम ने डस्टबीन फ्लैट के बाहर रखा है तो उसमें ही कचरा डालें। हमारा पहला मकसद लोगों को जागरूक करना है। इसके लिए 'ग्रीन गैंग' बनाई गई है।
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