नरोत्तम की याचिका ख़ारिज की दिल्ली हाईकोर्ट ने
मंत्री नरोत्तम मिश्रा

दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है। मिश्रा को वर्ष 2008 के दौरान पेड न्यूज (पैसा देकर वोट डालना) का दोषी पाते हुए उन्हें तीन साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद वह आगामी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने से भी वंचित हो गए थे।

राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की अनुमति के लिए मिश्रा ने जल्द से जल्द उनकी याचिका पर सुनवाई करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर की पीठ ने सभी तथ्यों का अध्यन करने के बाद याचिका को निराधार पाया। साथ ही तीन साल तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंध के आदेश को भी हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। बृहस्पतिवार को अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया थ्ाा।

नरोत्तम मिश्रा की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग ने अपनी जांच पूरी करने में काफी देरी की है। बहुत पहले उन्हें अयोग्य घोषित करने को लेकर निर्णय ले लेना चाहिए था। दलील दी गई कि उस समय छपी खबरें, संपादकीय व अग्रलेख उनके कहने पर नहीं छापे गए थे।

वहीं, शिकायतकर्ता कांग्रेस नेता राजेंद्र भाटी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि निश्चित तौर पर इस मामले की जांच पूरी करने में चुनाव आयोग ने जरूरत से ज्यादा समय लिया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त लोगों पर बिना कार्रवाई करे ही उन्हें छोड़ दिया जाए। चुनाव आयोग द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने पेड न्यूज के आरोप सही पाए हैं।

राष्ट्रपति के चुनाव 17 जुलाई को होने हैं। चुनाव आयोग के 13 जून के तीन साल प्रतिबंधित के फैसले को मिश्रा ने पहले मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने इसपर तत्काल सुनवाई से इंकार किया तो मिश्रा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट के कहने पर दिल्‍ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की।

इस मामले में नरोत्‍तम मिश्रा ने कहा कि न्‍यायपालिका का वे पूरा सम्‍मान करते हैं। हम कानून विशेषज्ञों से राय लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे ताकि हमें न्‍याय मिल सके। उन्‍होंने अनेक सवालों के जवाब में कहा कि वे न्‍यायालयीन मामलों पर कोई टिप्‍पणी नहीं करेंगे।

इस मामले में याचिकाकर्ता राजेंद्र भारती ने कहा कि लोकतंत्र में जो हमारे सिद्धांत और मूल्‍य हैं इस फैसले से उन्‍हें मजबूती मिली है। राज्‍यपाल को तत्‍काल प्रभाव वे मंत्री को बर्खास्‍त कर निर्वाचन आयोग के फैसले का सम्‍मान करना चाहिये।