करीब 3 लाख मीट्रिक टन मूंग, उड़द, मसूर, अरहर की खरीदी
दलहनी फसलों की खरीदी

उत्पादकों को खरीदी के विरूद्ध अब तक 620 करोड़ से ज्यादा का भुगतान  

मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर 2 लाख 97 हजार 132 मीट्रिक टन मूंग, उड़द, अरहर और मसूर की खरीदी की गई है। कुल 1528 करोड़ 65 लाख मूल्य की इन दलहनी फसलों की खरीदी के विरूद्ध 620 करोड़ 58 लाख रूपये का भुगतान भी उत्पादकों को किया जा चुका है।

इस मात्रा में से 918 करोड़ रूपये मूल्य की 1 लाख 72 हजार 21 मीट्रिक टन मूंग की खरीदी की गई है। खरीदी के विरूद्ध उत्पादकों को 349 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। कुल 89 करोड़ रूपये मूल्य की 17 हजार 521 मीट्रिक टन उड़द की खरीदी के विरूद्ध उत्पादकों को 20 करोड़ 15 लाख रूपये का भुगतान अब तक किया जा चुका है। कुल 443 करोड़ 44 लाख रूपये मूल्य की 87 हजार 810 मीट्रिक टन अरहर की खरीदी के विरूद्ध अब तक 191 करोड़ का भुगतान उत्पादकों को किया गया है। इसी तरह 78 करोड़ 21 लाख रूपये मूल्य की 19 हजार 780 मीट्रिक टन मसूर की खरीदी के विरूद्ध उत्पादकों को 60 करोड़ 43 लाख रूपये का भुगतान किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मूंग की रूपये 5,225, उड़द की रूपये 5000, अरहर की रूपये 5050 और मसूर की रूपये 3950 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीदी की गई है।

खरीफ फसलों की बोवाई

प्रदेश में आज तक की स्थिति में खरीफ फसलों की बोवाई संतोषजनक है और फसल बोवाई का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। आज की स्थिति में 93 लाख 86 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवाई हो चुकी है। पिछले वर्ष आज की स्थिति में यह क्षेत्रफल 96 लाख 28 हजार हेक्टेयर था। प्रदेश में खरीफ की बोवनी के लिये 130 लाख 48 हजार हेक्टेयर का अनुमानित लक्ष्य निर्धारित है। आज की स्थिति में सोयाबीन की बोवाई पिछले वर्ष के 49 लाख 70 हजार हेक्टेयर की तुलना में 40 लाख 12 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। उड़द की बोवाई पिछले वर्ष के 7 लाख 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में 13 लाख 67 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में की जा चुकी है। इस वर्ष धान पिछले वर्ष के 9 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में 9 लाख 58 हजार हेक्टेयर में क्षेत्र में बोई जा चुकी है। मक्का की बोवाई पिछले वर्ष के 11 लाख 92 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल की तुलना में 11 लाख 61 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है। इसके अलावा कपास की बोवाई पिछले वर्ष के 5 लाख 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में 5 लाख 57 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है।