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लोकसभा ने आईआईएम बिल को पास कर दिया है। इसी के साध देश के सभी 20 भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अब सरकार की दखलंदाजी से मुक्त हो गए हैं। भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक 2017 ने इन संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान कर दी है।
आईआईएम अब निदेशकों, फेकल्टी सदस्यों की नियुक्ति करने के अलावा डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकेंगे। पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर सभी 20 आईआईएम बोर्ड ऑफ गनर्वर्स की नियुक्ति भी कर सकेंगे।
बिल पास होने के बाद अब आईआईएम संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित कर दिया गया है और विजिटर का पद समाप्त कर दिया गया है। संस्थान अब यहां पढ़ाई करने वालों को डिप्लोमा की जगह डिग्री दे सकेंगे।आईआईएम के पास अब ज्यादा स्वायत्ता होगी। अब संस्थान का बोर्ड ही चेयरपर्सन और डायरेक्टर्स की नियुक्ति कर सकेगा। चेयरपर्सन की नियुक्ति बोर्ड द्वारा 4 साल के लिए जाएगी वहीं डायरेक्टर की नियुक्ति पांच साल के लिए होगी।अलग-अलग आईआईएम के बोर्ड के पास अब अपने संस्थान की समीक्षा की शक्तियां होंगी और यही बोर्ड हर संस्थान की सर्वोच्च बॉडी होगी। एक बार यह बिल एक्ट बन जाए उसके बाद आईआईएम को डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए मानव संसाधन मंत्रालय की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
हर आईआईएम के खातों का ऑडिट अब कैग द्वारा किया जाएगा।
MadhyaBharat
29 July 2017
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