भोपाल गैंगरेप : चारों आरोपियों को मरते दम तक कैद
भोपाल गैंगरेप : चारों आरोपियों को मरते दम तक कैद

 

 

भोपाल में  31 अक्टूबर को हुए छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म  के चारों दोषियों को शनिवार की दोपहर मरते दम तक कैद और 80 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। विशेष न्यायाीश फास्ट ट्रैक कोर्ट सविता दुबे ने यह फैसला सुनाया। मामले की गंभीरता और आरोपियों पर लगाई गई धाराओं को देखते हुए सरकारी वकील रीना वर्मा और पीएन सिंह ने कोर्ट से आरोपियों को कड़ी सजा देने की अपील की थी।

इस मामले में करीब 28 गवाहों के बयान दर्ज हुए। चार्जशीट दाखिल होने के 38 दिन में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सजा के एलान के करीब दस मिनट पहले शक्तिकांड के दोषी गोलू उर्फ बिहारी (25), अमर उर्फ घुंटू (25), राजेश उर्फ चेतराम (50) और रमेश उर्फ राजू को कोर्ट में लाया गया। जहां सरकारी वकील और बचाव पक्ष की वकील इंदु अवस्थी मौजूद थीं। जज ने आरोपियों को मरते दम तक कैद और 80 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इसमें से 60 हजार स्र्पए शक्ति को प्रतिकार राशि के रूप में दिए जाएंगे। बाकी 20 हजार सरकारी खजाने में जमा होंगे। इससे पहले शक्ति को शासन की ओर से तीन लाख स्र्पए की प्रतिकार राशि अदा की जा चुकी है।

कोर्ट ने कमेंट किया कि शक्तिकांड में शक्ति ने साहस पूर्वक समस्त परिस्थितियों का सामना किया है। शुरुआत से ही शक्ति को पुलिस द्वारा रिपोर्ट तक दर्ज करने का सहयोग नहीं था। पुलिस के उदासीन रवैये के कारण शक्ति और उसके माता-पिता ने साहस दिखाया और आरोपियों के खिलाफ पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए विवश किया। कोर्ट ने पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए तल्ख लहजे में कहा कि जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। जहां महिलाएं पीड़ित होती है वहां कुल का नाश होता है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने आरोपियों के लिए उदारता पूर्वक रवैया अपनाकर सजा सुनाए जाने का निवेदन किया था। जिस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस प्रकार के घटनाक्रम से कई बार लोग सामने आकर भी उल्लेख नहीं कर पाते। कम उम्र में यौन हादसों से बच्चियां जीवनभर किसी पर भरोसा नहीं करतीं। दुष्कर्म कोई साधारण अपराध नहीं।

पीड़िता की मां ने आरोपियों को सुनाई गई सजा पर संतोष जताते हुए कहा कि उनकी बेटी ने अपने आप को संभाल कर आगे बढ़ना शुरू किया है। उस रात जो हुआ उसे वह भुलाने की कोशिश कर रही है। हम उसे समझा रहे हैं कि वह इस घटनाक्रम को एक हादसा मानकर भूल जाए और आगे बढ़े। वह अब इस मामले की कभी बात भी नहीं करती है। फैसले में भी उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। घटना के बाद वह अपने रूटीन की तरफ लौट रही है। उसने पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया है। घटना ने उसे तोड़कर रख दिया था।

फैक्ट फाइल

-31 अक्टूबर को शक्तिकांड हुआ

-1 नवबंर को आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई

-15 नवबंर को जीआरपी हबीबगंज पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया

-16 नवबंर को मामला जिला न्यायाीश शैलेंद्र शुक्ला के पास पहुंचा

-16 नवबंर को ही न्यायाीश सविता दुबे की कोर्ट में मामले को भेजा गया।

-20 दिसंबर को मामला ट्रायल प्रोग्राम में पेश किया गया।

-21 दिसंबर से लगातार सुनवाई शुरू हुई।

-28 गवाहों के बयान दर्ज हुए।

-200 पेज का चालान पेश हुआ, 60 कागजी दस्तावेज को रिकॉर्ड में मिलाया गया।