ट्रकों की हड़ताल से 10 हजार करोड़ का नुकसान
ट्रकों की हड़ताल

 

बीते तीन दिनों से जारी ट्रकों की हड़ताल के देश को रोजाना 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। मगर, अभी तक ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल खत्म नहीं हुई है। खबरों के मुताबिक, हड़ताल के तीसरे दिन ट्रेड-इंडस्ट्री की सप्लाई पर असर साफ दिखा। ज्यादातर बड़े उद्योग-व्यापार केंद्रों पर बुकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग में 70 फीसद की कमी दर्ज की गई।

हाालंकि, बीते दो दिन वीकेंड होने की वजह से हड़ताल का वास्तविक असर लोगों को नहीं दिखा। मगर, सोमवार से हड़ताल का असर देखने को मिलेगा। हड़तालियों और सरकार के बीच फिलहाल किसी तरह की सहमति बनती नहीं दिख रही है। ऐसे में हड़ताल के लंबा खिंचने की आशंका भी जताई जा रही है।

संगठन का दावा है किया कि उससे करीब 93 लाख ट्रक चालक जुड़े हुए हैं. हालांकि इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने कहा कि दिल्ली समेत देश भर में हड़ताल का आंशिक असर हुआ है। हड़ताल के चलते कई जगह रास्ते में इनके भरे हुए ट्रक खड़े हैं तो कई जगह से रवाना नहीं हुए।

ऑपरेटर्स की मांग है डीजल की कीमतें कम हो ,टोल प्लाजा पर बैरियर बंद हो ,ट्रांसपोर्टरों पर टीडीएस खत्म हो ,थर्ड पार्टी बीमा में जीएसटी की छूट हो| 

दूसरी ओर ट्रेड-इंडस्ट्री ने हड़ताल पर चिंता जताई है। उन्होंने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मामले में दखल देने की अपील की है। ज्यादातर ट्रांसपोर्टर बुकिंग नहीं ले रहे हैं और जो छिटपुट ऑपरेटर चल रहे हैं, वे ज्यादा चार्ज कर रहे हैं। हड़ताल जारी रही, तो बिजनेस के अलावा आम उपभोक्ता को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपॉर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के आकलन के मुताबिक, फल-जब्जी, दूध, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजों के हड़ताल से बाहर होने के चलते अभी उपभोक्ता स्तर पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है। जानकार यह भी कह रहे हैं कि पहले दो-तीन दिन के लिए इंडस्ट्री पहले से तैयार थी। मगर, अब सप्लाई खत्म होने के बाद मुश्किलें बढ़ेंगी।