हाथियों के रहवास चिन्हित होंगे
हाथियों के रहवास चिन्हित होंगे

एमपी के मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में हाथियों के आगमन के संभावित स्थलों को चिन्हित किया जाये, ताकि राज्य में उनका उचित और सुरक्षित रहवास हो सके। उन्होंने कहा कि मानव और वन्य प्राणियों के हितों के संरक्षण की संतुलित और व्यवहारिक नीति पर कार्य किया जाये, ताकि उनके मध्य किसी प्रकार का संघर्ष नहीं हो। श्री चौहान ने आज मंत्रालय में राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की 17वीं बैठक में यह बात कही।

श्री चौहान ने कहा कि वन्य प्राणी द्वारा फसलों की क्षति पर किसानों को राजस्व संहिता के अंतर्गत प्रावधान कर राहत राशि दी जा रही है। लोक सेवा गारंटी कानून के अंतर्गत त्वरित सहायता दिये जाने के प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि अवैध उत्खनन को रोकने के लिये जनसहभागिता से सघन प्रयास किये गये हैं। खदानों को पंचायतों के सुर्पुद कर दिया गया है, ताकि ग्रामीणजन स्वयं उनका नियमन और नियंत्रण करे सकें। उन्होंने कहा कि कुनोपालपुर क्षेत्र वन्य प्राणी आबादी से समृद्ध हुआ है। रातापानी और रानी दुर्गावती अभ्यारण्य में भी वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी है।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश की ओर से उड़ीसा को एक जोड़ा बाघ प्रदाय किया गया है। नर एवं मादा बाघ को बांधव टाइगर रिजर्व से ले जा कर सतकोसिया टाइगर रिजर्व में सफलतापूर्वक छोड़ा गया है। इसी तरह नौरादेही अभ्यारण्य में भी एक जोड़ा बाघ की पुनर्स्थापना की गई है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के स्वर्ण जयंती अवसर पर भारतीय डाकतार विभाग द्वारा विशेष आवरण जारी किया गया है। अखिल भारतीय बाघ गणना कार्यक्रम के तहत बाघ, सहभक्षी, अहेर प्रजातियों एवं उनके रहवास का वर्ष 2018 में फरवरी से मार्च माह के दौरान अनुश्रवण किया गया। फेज-वन के चार चक्रों में प्राप्त आंकड़ों की 2014 के आँकड़ों से तुलना की गई। इसमें बाघ उपस्थिति क्षेत्र में लगभग दोगुनी वृद्धि परिलक्षित हुई है। वर्ष 2014 में 717 बीटों में बाघों की उपस्थिति के चिन्ह मिले थे। वर्तमान में 1400 से अधिक बीटों में उपस्थिति के चिन्ह मिले हैं।

बैठक में बोर्ड के अशासकीय सदस्यों ने विभिन्न गतिविधियों की सराहना की। साथ ही, अधिक बेहतर प्रयासों के संबंध में सुझाव भी दिये। इस मौके पर विगत बैठक के पालन-प्रतिवेदन का अनुमोदन किया गया। बैठक में वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह तथा वन्य प्राणी बोर्ड के शासकीय और अशासकीय सदस्य मौजूद थे।