रेलवे बीना-इटारसी में सोलर ऊर्जा से बिजली पैदा करेगा
रेलवे बीना-इटारसी में सोलर ऊर्जा से बिजली पैदा करेगा

भोपाल रेलवे स्टेशन के बाद अब रेलवे बीना और इटारसी में भी सोलर ऊर्जा से बिजली पैदा करेगा। इसे लेकर रेलवे ने तैयारी शुरू कर दी है। बीना में सोलर प्लांट बनाने का काम शुरू कर दिया है। यहां 1000 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। इटारसी में भी सोलर ऊर्जा से बिजली बनाने का प्लान है। लेकिन, बीना में प्रस्तावित प्लांट का काम पूरा होने के बाद इटारसी में काम चालू किया जाएगा।

सोलर ऊर्जा से बनने वाली बिजली का उपयोग रेलवे स्टेशन व रेलवे में दफ्तरों में किया जाएगा। इन दो सेक्शनों में बिजली उपयोग करने के बाद जो बिजली बचेगी उसे ओएचई लाइन से जोड़कर ट्रेनों के संचालन में दी जाएगी।

भोपाल स्टेशन के प्लेटफार्म के शेडों की छतों पर सोलर पैनल लगाए गए थे। यह काम गुजरात की एक निजी कंपनी को दिया गया था। कंपनी ने पांच प्लेटफार्म के शेडों पर ये पैनल लगवा कर बिजली बनाना शुरू कर दिया है। एक प्लेटफार्म पर 150 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है। इस तरह 750 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य है। इसमें से करीब 50 फीसदी बिजली बनने लगी है, जो स्टेशन के उपयोग में खर्च की जा रही है। वहीं भोपाल स्टेशन की तर्ज पर हबीबगंज स्थित डीआरएम दफ्तर की छत पर भी सोलर पैनल लगाए गए हैं, यहां भी बिजली बन रही है जो दफ्तरों में उपयोग की जा रही है।

भोपाल रेल मंडल में सोलर पैनल से 1000 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह बिजली अकेले रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर लगे शेडों की छतों पर पैनल लगाकर बनाई जानी है। बीना प्लांट में तो अलग से बिजली तैयार की जाएगी।

प्लेटफार्मों के शेड पर जो कंपनी सोलर पैनल से बिजली तैयार कर रही है वह रेलवे को फ्री में बिजली नहीं देगी। बल्कि रेलवे को एक यूनिट बिजली के बदले 5 रुपए 20 पैसे तक चुकाने होंगे। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि सिस्टम लगाने का काम निजी कंपनियां कर रही हैं। रेलवे ने इन कंपनियों को केवल प्लेटफार्म के शेड की छतें दी हैं, बाकी का पूरा खर्च कंपनियां ही उठा रही हैं। इसलिए पैदा होने वाली बिजली पर कंपनी का ही हक होगा। रेलवे को शुल्क चुकाकर बिजली खरीदनी होगी।

डीआरएम शोभन चौधरी का कहना है सोलर ऊर्जा से बिजली तैयार करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। भोपाल में बिजली बनने लगी है। अगला लक्ष्य बीना का है। सोलर ऊर्जा से बिजली बनाने से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। प्राकृतिक संसाधन के दोहन से भी बच सकेंगे