किसानों को ड्रम से बनी नाव का सहारा
 DRAM KI NAAV

 

विकसित मध्यप्रदेश की कड़वी सच्चाई 

कोई नहीं किसानों की सुध लेने वाला 

 

मध्यप्रदेश में  गांव और किसानों की हर छोटी बड़ी समस्याओं को सुलझाने का दावा सरकारें करती रही हैं  लेकिन हकीकत इससे बिलकुल इतर है  बारिश में लोग जैसे तैसे ड्रमों के जरिये नदी पार करते हैं   इन समस्याओं को सुलझाने में न बीजेपी सरकार की रूचि थी न कांग्रेस की सरकार की है 

 

एक तरफ मध्यप्रदेश के विकास की दास्तान है तो दूसरी तरफ इस दास्तान  की हकीकत बायान करती तस्वीरें  बारिश में गांव और किसान के हालात क्या होते हैं ये उसकी झलक भर है  पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ तक ने किसानों के लिए बातें तो बड़ी बड़ी किं लेकिन काम कितना हुआ यह तस्वीर उस सब की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है  तमाम नदियां ऐसी हैं जिन पर पुल नहीं हैं और पार जाने के लिए किसान जुगाड़नुमा नाव का सहारा लेते हैं  शाजापुर शहर से सिर्फ पांच किमी दूर बज्जाहेड़ा में जान हथेली पर रखकर ग्रामीण चीलर नदी पार कर रहे हैं  चार ड्रम और लकड़ी के पटिये रखकर बनाई गई नाव को ग्रामीण नदी के पार पेड़ से बंधी रस्सी से खींचते हैं और इस पार से उस पार पहुंचते हैं  इस दौरान यदि थोड़ा सा संतुलन भी बिगड़े तो नदी में गिर सकते हैं  दर्जनों किसानों का सहारा सरकार नहीं यही ड्रम हैं  बीजेपी की सरकार रहते कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस छोटे मसलों पर ध्यान नहीं दिया  कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों को बहुत उम्मीदें थीं लेकिन अब ये उम्मीदें इन ड्रमों में कैद हो गई हैं   जिस तरह वर्तमान की कमलनाथ सरकार कई सहारों से चल रही है  ठीक वैसे ही चार ड्रमों को  रस्सी से बांधकर लकड़ी के पटिये रखे गए   ताकि  तीन से चार ग्रामीण  इस पर बैठ सकें  फिर  दूसरी ओर पेड़ से बंधी रस्सी को खींचते हैं और नदी पार होती है  कई बार ये जुगाड़ नाव डोलने भी लगती है  ऐसे में सावधानी जाती और दुर्घटना घटी   अभी इस  नदी में 10 से 15 फीट पानी भरा हुआ है   इस कारण खतरा बहुत है  यहां के सरपंच डॉ. जगदीशसिंह पंवार का कहना है कि नदी पर बना बैराज भर गया है  इस कारण खेतों में पहुंचने के लिए किसानों ने ड्रम की नाव बनाई है  नदी पार करते समय हादसा हो सकता है  सरकार  से पुल निर्माण की मांग की है  लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है