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शिक्षक नहीं बता पाए मुख्यमंत्री का नाम
ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे बढ़ेगा इंडिया
एक ऐसा जिला जिसे पूर्ण साक्षर जिले का तमगा मिला है मगर इस पूर्ण साक्षर जिले के शिक्षकों का ज्ञान देखकर आप भी अपना माथा पकड़ने को मजबूर हो जाएंगे सन् 1992 में नरसिंहपुर जिले को प्रदेश के पूर्ण साक्षर जिला होने का गौरव प्राप्त हुआ था। उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा ने जिला मुख्यालय पर 'साक्षरता स्तंभ' का अनावरण करते हुए इसकी घोषणा की थी लेकिन अब यह साक्षरता का गौरव और वाहवाही जमीनी स्तर पर धूमिल होती नजर आ रही है
नरसिंहपुर जिले को शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण साक्षर जिले का तमगा मिला है लेकिन वहाँ अज्ञानता का कैसा अंधेरा है ये नरसिंहपुर के तमाम शिक्षकों के ज्ञान से साफ पता चलता है इनकी अज्ञानता का भी अलग अंदाज है सन् 1992 में नरसिंहपुर जिले को प्रदेश के पूर्ण साक्षर जिला होने का गौरव प्राप्त हुआ था उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा ने जिला मुख्यालय पर 'साक्षरता स्तंभ' का अनावरण करते हुए इसकी घोषणा की थी लेकिन अब यह साक्षरता का गौरव और वाहवाही जमीनी स्तर पर धूमिल होती नजर आ रही है किसे पता था कि 27 साल बाद पूर्ण शिक्षित ज़िले को मिले इस गौरव की नई कहानी यहां के शिक्षक लिख रहे हैं पूर्ण शिक्षित जिले की शिक्षा को किस तरह नया आयाम दिया जा रहा है यह इस रिपोर्ट में सामने आ रहा है साक्षरता का गौरव और वाहवाही जमीनी स्तर पर धूमिल होती नजर आ रही है
जब हमारी टीम ने जिले में साक्षरता के संबंध में पड़ताल की तो पता चला कि जिले के शिक्षकों की शैक्षणिक गुणवत्ता ही आधी अधूरी है जब शिक्षकों से सामान्य ज्ञान के कुछ प्रश्न पूछे तो ज़िले में ऐसे - ऐसे शिक्षक मिले जिन्हें भारत के "शिक्षा मंत्री" कौन है ये तक नहीं पता है भारत के "शिक्षा मंत्री" तो छोड़िए उन्हें मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री के बारे में तक नहीं पता है उनका नाम तक नहीं जानते है और आगे पड़ताल की तो ज़िले से ही चुनकर गए मध्य प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति का नाम तक नहीं पता है सरकार बदल गई मुख्यमंत्री बदल गए मगर इनके लिए मुख्यमंत्री अभी तक "शिवराज सिंह चौहान" ही है जी हाँ मुख्यमंत्री प्रदेश के कौन हैं इसके जवाब में शिवराज सिंह और शिक्षा मंत्री कमलनाथ बता दिए एक शिक्षक ने तो केन्द्रीय मंत्री "प्रहलाद सिंह पटेल" को ही मध्यप्रदेश का "मुख्यमंत्री" बना डाला हमारी टीम ने जब आगे बढ़कर शिक्षकों से ओर पूछने का प्रयास किया तो पता चला कि शिक्षक सही ढंग से हिंदी तक नहीं लिख पा रहे हैं हमने ब्लैक बोर्ड पर लिखने को क्या कह दिया मानो जुल्म ही कर दिया शिक्षक "आशीर्वाद" "आविष्कार" "मंत्रिमंडल" "दंपती" "सांसारिक" जैसे शब्दों की वर्तनी तक नहीं लिख पा रहे हैं
जब हमारी टीम ने एक शिक्षक से "आविष्कार" लिखने को कहा तो मास्टर जी ने नया ही अविष्कार कर दिया मास्टर जी यहां भी फेल हो गए और सही नहीं लिख पाने पर बगलें झांकने लगे मास्टर जी के इस नए आविष्कार को देख आप चौकिएगा नहीं क्योंकि पढ़ा वो रहे थे और बार बार पूछ हमसे रहे थे शिक्षकों का ज्ञान कितना हैं इंग्लिश तो छोड़िए ये सही से हिंदी तक नहीं लिख पा रहे हैं अगर ऐसे शिक्षकों के हांथो में देश के भविष्य की बुनियाद रखी जायेगी तो क्या पता इससे बनने वाली इमारत कितने दिनों खड़ी रहेगी देश की शिक्षा का यह हाल सरकार के दावों की पोल खोलता नज़र आता है भले ही सरकार शिक्षा के प्रति कितनी भी योजनाएं चला ले कितने भी प्रशिक्षण दे ले लेकिन जमीनी स्तर पर उनका परिणाम शून्य ही मिल रहा है अगर ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे बढ़ेगा इंडिया
MadhyaBharat
28 July 2019
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