सरकार जमीन लेगी तो विक्रेता को मिलेगी दोगुनी राशि
सरकार जमीन लेगी तो विक्रेता को मिलेगी दोगुनी राशि
मंत्रि-परिषद् के निर्णय एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता मेंसंपन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में सार्वजनिक हित की परियोजनाओं के लिये आवश्यक होने पर निजी भूमिधारकों की भूमि आपसी सहमति से क्रय की जायेगी। इसके लिये मंत्रि-परिषद् ने नीति का अनुमोदन किया।नीति के अनुसार राज्य शासन के विभागों और उपक्रमों की अधोसंरचना और विकास परियोजनाओं के लिये भूमि की आवश्यकता होने पर सबसे पहले कलेक्टर उपलब्ध शासकीय भूमि में से उपयुक्त भूमि प्रशासकीय विभाग को नियमानुसार हस्तांतरित करेंगे। उपयुक्त शासकीय भूमि उपलब्ध न होने पर प्रशासकीय विभाग/उपक्रम के आवेदन पर परियोजना अथवा उसके अंशभाग के लिये निजी भूमिधारकों से आपसी सहमति के आधार पर न्यूनतम आवश्यक भूमि क्रय की जा सकेगी। भूमिधारक की निजी भूमि क्रय किये जाने के दिनांक को कलेक्टर द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की तत्समय प्रभावशाली दर के अनुसार संगणित भूमि के मूल्य और भूमि पर स्थित स्थावर परिसम्पत्तियों के मूल्य के बराबर राशि प्रतिफल के रूप में देकर क्रय की जायेगी। उपरोक्त के अलावा प्रतिफल के समतुल्य राशि विक्रेता को एकमुश्त पुनर्वास अनुदान के रूप में दी जायेगी। इस प्रकार विक्रेता को निजी भूमि और उस पर स्थित स्थावर परिसम्पत्तियों के लिए दोगुनी राशि प्राप्त होगी।विभाग/उपक्रम की परियोजना के लिये क्रय की जाने वाली भूमि उस पर स्थित स्थावर परिसम्पत्तियों के मूल्य और पुनर्वास अनुदान पर देय राशि का वहन संबंधित शासकीय विभाग/उपक्रम द्वारा किया जायेगा। नीति के अनुसार भूमि क्रय के बाद यदि परियोजना वापस ली जाती है या असफल हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप भूमि की आवश्यकता नहीं रह जाती है, तो क्रय की गई भूमि संबंधित विभाग/उपक्रम द्वारा राजस्व विभाग को समर्पित कर दी जायेगी। समर्पित भूमि राजस्व विभाग भविष्य में किसी अन्य शासकीय प्रयोजन अथवा विकास परियोजना के लिये आवंटित कर सकेगा।शासन द्वारा कृषि के लिये पट्टे पर दी गई शासकीय भूमि की किसी परियोजना के लिये आवश्यकता होने पर कलेक्टर इस नीति के अंतर्गत पट्टे की नितांत आवश्यकता का परीक्षण करेंगे। वे स्वत्व की भाँति मूल्य तथा अनुदान की राशि की गणना कर पट्टेदार को उसके द्वारा स्वेच्छा से पट्टा समर्पित करने पर समतुल्य राशि अनुदान के रूप में स्वीकृत कर सकेंगे।सौर ऊर्जा रूफटॉप परियोजनामंत्रि-परिषद् ने प्रदेश में सौर ऊर्जा को और अधिक बढ़ावा देने के मकसद से मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 5 मेगावॉट क्षमता की ग्रिड संयोजित सौर ऊर्जा रूफटॉप परियोजना इंदौर, भोपाल और जबलपुर में शुरू किये जाने का निर्णय लिया। परियोजना के लिये विकासक का चयन प्रतिस्पर्धात्मक निविदा के आधार पर किया जायेगा। परियोजना की स्थापना के लिये राज्य शासन और अन्य शासकीय उपक्रमों के भवनों को चिन्हित कर उनकी छतें विकासक को नि:शुल्क लीज पर दी जायेंगी। परियोजना की स्थापना से प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युत की उपलब्धता बढ़ेगी।अधिकार प्रत्यायोजनप्रदेश में प्राप्त निवेश प्रस्तावों के तेजी से क्रियान्वयन के लिये सही मायने में सिंगल विंडो उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मंत्रि-परिषद् ने नगरीय विकास एवं पर्यावरण के अधिकारों तथा सेवाओं का प्रत्यायोजन उद्योग और रोजगार विभाग की अधीनस्थ एजेंसियों को करने का निर्णय लिया। इससे निवेश प्रस्तावों के लिये आवश्यक वैधानिक अनुमतियाँ और सम्मतियाँ एक ही जगह पर मिल सकेंगी। इन सुविधाओं में भवन निर्माण की अनुमति, औद्योगिक परियोजना के लिये चयनित भूमि के परिप्रेक्ष्य में विकास अनुज्ञा एवं पर्यावरण संबंधी स्वीकृति शामिल हैं। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानि कारोबार में सुगमता बढ़ सकेगी।रक्षा संयंत्र उत्पाद नीतिमंत्रि-परिषद् ने राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति का अनुमोदन किया। इसमें ग्वालियर को भी शामिल करने का फैसला किया गया। उल्लेखनीय है कि कटनी, इटारसी और जबलपुर में स्थित रक्षा उत्पाद निर्माता सरकारी क्षेत्र के सार्वजनिक कम्पनी के संयुक्त उपक्रम/सहायक/विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिये 500 करोड़ या अधिक निवेश करने वाली रक्षा निर्माण उत्पाद इकाइयों को सुविधा देने के लिये यह नीति बनाई गई है।नीति में इकाइयों को 50 एकड़ तक शासकीय अविकसित भूमि उपलब्ध करवायी जायेगी। बंद/बीमार इकाइयों का क्रय कर रक्षा उत्पाद निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने पर स्टाम्प ड्यूटी की प्रतिपूर्ति की जायेगी। इकाई विशेष के लिये पृथक एस्कार्ट ऑफिसर की सुविधा दी जायेगी। अविकसित भूमि पर मूलभूत अधोसंरचना पर अनुदान दिया जायेगा। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश को आकर्षित करने के लिये न्यूनतम 500 करोड़ स्थाई पूँजी निवेश करने वाली रक्षा उत्पाद परियोजनाओं को विशेष पेकेज स्वीकृत किया जायेगा। आयतित सामग्री के बंदरगाह से उद्योग स्थल पर परिवहन के आय-व्यय पर नियम अनुसार अनुदान दिया जायेगा।