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वन विभाग का खेल,मृत व्यक्ति बना कारोबारी
वन विभाग में जो हो जाये सो कम है | आपको जानकर आश्चर्य होगा वन विभाग से इजाजत लेकर मुर्दे भी काम करते हैं | एक ऐसा मामला सामने आया है जहाँ एक पांच साल पहले मर चुका व्यक्ति वन विभाग की इजाजत से व्यापार कर रहा है |
वन विभाग के अधिकारियों का एक बड़ा कारनामा सामने आया है | एक व्यक्ति जिसकी मौत आज से 5 वर्ष पहले हो चुकी है | वह बाकायदा वन विभाग के नियम अनुसार सरकारी फाइलों, दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने समय समय पर आता था | बाकायदा वन विभाग से मंजूरी लेकर अपना व्यापार कर रहा था यह सोचकर शायद आपको हैरत हो लेकिन यह कारनामा सीहोर जिले की आष्टा तहसील में संभव हुआ,वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मेहरबानी से,जहाँ आष्टा के ही निवासी मृतक अब्दुल रशीद की मौत 2014 में हो गई थी लेकिन धन्य हो वन विभाग के ऐसे अधिकारी जो कि अब तक उसका नाम कागजों में जीवित रखे हुए हैं | मृतक अब्दुल रशीद के नाम से 2016-17 में सब्जी मंडी आष्टा स्थित आरा मशीन के नाम पर नवनिकरण हुआ | 2014 से मृत व्यक्ति आकर कर आवेदनों पर हस्ताक्षर कर रहा है | अब जांच की बात कहकर और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ बात कहकर अधिकारी मामले को चलता कर रहे हैं |
आष्टा में अब्दुल राशिद की आरा मशीन है | अब्दुल रशीद का इंतकाल 2014 में ही चुका है जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र वन विभाग को उनके परिजनों द्वारा दे दिया गया था | मामले में रोचक स्थिति तब आई जब म्रतक अब्दुल रशीद 2014 से बराबर आकार अपनी आरा मशीन का नवीनीकरण वर्ष 2019 तक करवा रहा हैं और नवीनीकरण के दास्तावेजो पर आकर अपने हस्ताक्षर भी कर रहे हैं | इसके अलावा वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा वार्षिक निरीक्षण पर भी उपस्थित होकर आरा मशीन में आने और जाने वाली जलाऊ लकड़ी का हिसाब भी उपलब्ध करा रहे हैं | अब सवाल ये उठता है कि जब नगर पालिका के दास्तावेजो के अनुसार अब्दुल रशीद की मृत्यु 2014 में हो गई थी तो फिर कैसे वन विभाग के दास्तावेजो में अब्दुल रशीद आकर अपने हस्ताक्षर कर रहे हैं |
MadhyaBharat
20 February 2020
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