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नया रायपुर या होगी स्मार्ट सिटी
new raipur
 
 
रायपुर का चयन स्मार्ट सिटी बनाए जाने के फैसले के बाद इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पूरा होने पर भी सुविधाओं के मामले में यह शहर नया रायपुर के सामने क्या फीका ही नजर आएगा? इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नया रायपुर को राज्य सरकार देश की पहली स्मार्ट कैपिटल सिटी के रूप में अपने संसाधनों से विकसित कर रही है। दुनिया की आधुनिकतम सुविधाएं और संसाधन वहां मुहैया कराए जा रहे हैं जबकि वहां अभी आबादी नहीं है। वहीं रायपुर के साथ ऐसा नहीं होगा। इतने बड़े शहर का केवल एक हिस्सा मॉडल के रूप में डेवलप करना प्रस्तावित है, जबकि बाकी हिस्सों में केवल मूलभूत सुविधाएं ही जुटाई जाएंगी।
नया रायपुर को देश की पहली स्मार्ट कैपिटल सिटी के रूप में विकसित करने के लिए डीपीआर तैयार हो चुका है। इस शहर के विकास के लिए पांच दिशाएं (डाइमेंशन) तय हैें। पांच दिशाओं में अत्याधुनिक समाधान तैयार किए जा रहे हैं। ये समाधान दुनिया में आईटी सेक्टर में कार्यरत बड़ी कंपनियों के सहयोग से तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन रायपुर शहर के साथ ऐसा नहीं होगा। इसका केवल एक हिस्सा मॉडल के रूप में डेवलप किया जाएगा। बाकी शहर में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की जुगत होगी। इसके लिए भी संसाधन आसानी से उपलब्ध नहीं होंगे। 500-500 करोड़ रुपए केंद्र व राज्य से, योजना मद में केंद्र और राज्य की योजना से1000 करोड़ रुपए, और 1000 करोड़ रुपए पीपीपी मोड में उपयोग में लाना होगा। जानकारों का कहना है कि ऐसे में काफी खींचतान मच सकती है जिसका बुरा असर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर पड़ेगा।
नया रायपुर को इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम की मदद से हादसा मुक्त शहर बनाया जाएगा। शहर की प्रत्येक सड़क की निगरानी होगी। यहां चलने वाली प्रत्येक गाड़ियों में सेंसर लगाए जाएंगे जो लगातार आगे-पीछे और साथ चलने वाली गाड़ियों की दूरी को सेंस करेगा। और उसी के हिसाब से गाड़ी की स्पीड तय करेगा। सेंसर इतना पावरफुल होगा कि अचानक कोई आब्जेक्ट सामने आने पर गाड़ी को उसी जगह पर खड़ी कर देगा। इसी तरह किसी रास्ते पर जाम लगने या किसी भी तरह की बाधा आने पर पीछे की गाड़ियों का रूट पहले ही डायवर्ट किया जा सकेगा। रायपुर के लिए इस तरह का कोई सिस्टम डेवेलप करने का प्रस्ताव डीपीआर में नहीं है।
नया रायपुर में मूलभूत सुविधाएं पानी, बिजली और गैस 24 घंटे घरों में उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए युटीलिटीज सिस्टम डिवेलप किया जाएगा। हर घर में पानी, बिजली और गैस की लाइन होगी। डिलीवरी पॉइंट पर मीटर लगाया जाएगा। मीटर की रीडिंग के हिसाब से बिल देना होगा। नया रायपुर में अभी 24 घंटे पानी की व्यवस्था होगी।
सिटी सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से पूरे शहर पर नजर रखी जा सकेगी। सिटीबस, स्कूलबस, आटो, टैक्सी आदि सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में निगरानी के लिए हाई रिजोल्यूशन के कैमरे लगे होंगे जिनकी लगातार रिकार्डिंग और मॉनीटरिंग कंट्रोल में होती रहेगी। कहीं हादसा होने पर त्वरित पुलिस और मेडिकल सहायता पहुंचाई जा सकेगी। वहीं जुर्म होने पर भागते हुए अपराधियों को पकड़ने और उन पर नजर रखने में भी यह सिस्टम मददगार होगा। रायपुर में ऐसा सिस्टम विकसित करने का प्रावधान तो किया गया है लेकिन ऐसी सुविधाएं नहीं होंगी।
स्मार्ट गवर्नेंस के जरिए सभी सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में पेपरलेस वर्क होगा। आम लोगों के लिए इस सिस्टम को आमलोगों के फायदे को केंद्रित कर तैयार किया जाएगा। इसमें एक घर में बिजली, पानी, सफाई, फोन, मोबाईल, दूध, पेपर, निगम के टैक्स आदि के लिए एक ही बिल जेनरेट होगा। रायपुर के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
पूरे शहर में हर तरह की सेवाएं, जरूरतों और ट्रैफिक आदि का कंट्रोल एक बड़े हॉल से होगा। स्मार्ट सिटी के लिए तैयार किए जा रहे सभी सिस्टम और समाधान सेंट्रलाइज्ड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से जुड़ेंगे। इस तरह पूरे शहर को एक बड़े हॉल से संचालित किया जाएगा। इस सिस्टम को आपरेट करने के लिए आईटी सेक्टर के अलावा, पुलिस, इंटेलिजेंस, सहित अलग-अलग सरकारी विभागों के लोगों की नियुक्ति होगी जो अलग-अलग सेवाओं के जानकार होंगे। रायपुर के लिए अभी इस बारे में सोचा नहीं गया है।
शहरी मामलों के जानकार आर्किटेक्ट मनीष पिल्लीवार स्मार्ट सिटी केवल संसाधनों से नहीं लोगों से बनती है। नया रायपुर में बेशक दुनिया की आधुनिकतम सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं लेकिन वहां रहने वाला कोई नहीं है। जबकि रायपुर में 15 लाख की आबादी के लिए 4000 करोड़ रुपए काफी कम है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल होने से एक फायदा यह तो जरूर होगा कि शहर का एक हिस्सा मॉडल के रूप में डेवेलप होगा तो बाकी शहर को धीरे-धीरे उस दिशा में विकसित करने में मदद मिलेगी।
MadhyaBharat 27 May 2016

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