रामविचार नेताम पिछला चुनाव हारे, अब राज्यसभा में
ramvichar netam chattisghar
 
 
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ आदिवासी नेता रामविचार नेताम एक बार फिर चर्चा में हैं। मात्र 11वीं तक पढ़े नेताम संयुक्त मध्य प्रदेश के जमाने में 1990 में पहली बार सरगुजा के पाल से विधायक बने। इसके बाद लगातार पांच बार विधायक रहे। छत्तीसगढ़ में भाजपा की पहली सरकार में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इन्हें राजस्व और आदिम जाति विकास मंत्री बनाया गया। उसके बाद उन्हें गृह  जेल व सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी मिली।
2008 में बनी दूसरी भाजपा सरकार में उन्हें पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया। लेकिन 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के बृहस्पति सिंह से अपनी सीट रामानुजगंज हार बैठे। संगठन ने किसी मंडल अथवा निगम में बैठाने की बजाय नेताम को राष्ट्रीय संगठन में मौका दिया।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नई टीम में उनको सचिव बनाकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रभारी बनाया गया। इसके अलावा झारखंड के सह प्रभारी की भी जिम्मेदारी नेताम के पास है। अब भाजपा उन्हें राज्यसभा पहुंचा रही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा से शुरुआत से जुड़े नेताम पहली बार सरगुजा रियासत के खिलाफ आदिवासियों के आंदोलन में चर्चित हुए थे। उस आंदोलन में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। नेताम को सरगुजा बेल्ट के जमीनी नेताओं में से एक माना जाता है।
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में भी रहे शामिल
इस साल हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में नेताम को प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। सत्ता में आने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर आदिवासी समुदाय का ही कब्जा रहा है। लेकिन चुनाव से एक दिन पहले राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह ने पिछड़ा वर्ग के धरमलाल कौशिक को अध्यक्ष बनाने की सहमति ले ली। कौशिक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की भी पसंद थे। निर्वाचन की घोषणा के समय नेताम ने व्यंग्य में ही यह बात कह दी थी।