सनम तुमको भी ले डूबेंगे...
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राजेन्द्र जायसवाल
 
भू-विस्थापितों के साथ दीपका में अजीबो-गरीब स्थिति निर्मित हो गई। जिन्होंने भू-विस्थापितों की अगुवाई की, वे ही पीठ दिखा गायब हो गए। अब यह तो लाजिमी है कि जिनकी नाव में पहले से छेद हों तो उसमें सवारी करने वाले का डूबना तय  है। यहां भी जो अगुवा बने, वे एसईसीएल प्रबंधन व प्रशासन की नजर में पहले ही चढ़े हैं कि अतिक्रमण कर उसका भी मुआवजा लेने तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। इनकी रायशुमारी भू-विस्थापितों को भारी पड़ गई और इशारे पर इन्होंने भी रातों-रात कब्जा कर डाला। अब तो इनके लिए यह जुमला सही बैठ रहा कि हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे।
एक अनार सौ बीमार 
काले हीरे की धरती पर पहली बार आ रहे ऊर्जा और कोयला मंत्री की हालत उस अनार की तरह हो गई है जिसकी चाह में बीमारों की संख्या बढ़ती जा रही है। खदान प्रभावित के साथ एसईसीएल में ठेके पर सफाई करने वाले भी उनसे मिलने को उतावले हैं तो कोयला क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक संगठन भी भीतर ही भीतर कुछ अधिकारियों के जड़ में मट्ठा डालने केन्द्रीय राज्यमंत्री से अकेले में मिलने की जुगत लगा रहे हैं। कांग्रेस ने भी विरोध और काले झण्डे का ऐलान कर दिया है। अब मंत्री की आवभगत में जुटे प्रबंधन की नींद इस बात को लेकर उड़ गई है कि ऐन वक्त पर कोई बखेड़ा न खड़ा हो जाये।
निगम में कचरा घोटाला...
देश-प्रदेश में 2जी, 3जी, कोयला, नान भर्ती, धान घोटालों की लंबी फेहरिस्त की कड़ी में अब कोरबा निगम में जल्द ही कचरा घोटाला सामने आने वाला है। शिकायतकर्ता ने लिखा है कि आखिर क्या कारण है कि बरबसपुर में डम्प होने वाले कचरे में एकाएक दोगुनी-चौगुनी वृद्धि हो गई है और वहां के पैसे का एडजस्टमेंट कहां पर किया जा रहा है, इसकी चर्चा निगम के गलियारे में जोरों पर है। 
बालको की हवा खराब
बालको में इन दिनों हवा काफी खराब और प्रबंधन के विपरीत बह रही है। तबादला के मुद्दे इस तरह हावी हैं कि चादर से लंबे पैर हो गए हैं। वेज रिवीजन पर प्रबंधन की खरी-खरी और कार्रवाई में भेदभाव की नीति अंदर ही अंदर चिंगारी भड़का रही है। जैसे-तैसे इन मुद्दों से निपट रहे प्रबंधन को अब बाहरी तत्वों से झटका लगा है। बालको मुख्य गेट में तोडफ़ोड़ और धमकी से शांति भंग हुई तो प्रबंधन के लिए भी खासी मुसीबत इस बात को लेकर है कि उससे अंदरूनी कलह तो सुलझ नहीं रही, अब बाहर से भी न जाने कौन हमला कर जा रहा है। 
अब तक गिरे दो ही विकेट
जोगी के रंग में रंग कर कांग्रेस का दामन छोडऩे वालों की बाढ़ दीगर जिलों में तो आ गई है किन्तु कोरबा में अब तक 2 ही विकेट कांग्रेस की ओर से गिरे हैं। पहले नितिन यादव ने जोगी भक्ति दिखाई और उनके बाद महिला कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष गीता नेताम ने आला कमान को ईस्तीफा भेजा। जिले में जोगी के कट्टर समर्थकों की फेहरिस्त लंबी है फिर भी वे अभी तक कांग्रेस में बने हैं जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। वैसे एक और समर्थक हाल में या तो ईस्तीफा देकर जोगी के पाले में जाने वाला है या संगठन से निकाले जाने के बाद अपनी आस्था प्रदर्शित करेगा।
तब प्याज, अब दाल-टमाटर 
सरकार किसी की भी हो, महंगाई जनता को हलाल करना नहीं छोड़ती। एक समय था जब कांग्रेस शासनकाल में प्याज ने सबको रुलाया और चुनाव के वक्त प्याज की ताकत ने तख्ता पलट कर दिया। अब एक ऐसा दौर चल रहा है जब मासूम सी सूरत वाले टमाटर और लोकप्रिय दाल की उछाल से लोग लाल-पीले हो रहे हैं। गरीबों की कटोरी से दाल और सिलबट्टे से टमाटर की चटनी गायब होने लगी है। महंगाई से प्रताडित लोगों को राहत का इंतजार है कि कब उनके अच्छे दिन आएंगे, अब तो लोग जुमला देने लगे हैं कि देश नहीं तेजी से रेट बदल रहे हैं और अच्छे दिन लद रहे हैं। 
एक सवाल आपसे
पालिका का वह कौन पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान उपाध्यक्ष है जिसकी भू-विस्थापितों के मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता ने जमकर खबर ली है?
अफवाह यह भी 
अब यह अफवाह कौन फैला रहा है कि जिले के एक कांग्रेस विधायक जोगी से दूरियां बना लिये हैं या उन्हें दूर रहकर काम करने के लिए कहा गया है।