बस्तर की चिलम में ओडिशा का गांजा
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ओडिशा सीमावर्ती होने के चलते बस्तर के रास्ते लंबे समय से गांजा की तस्करी की जा रही है। लेकिन हाल में बिहार में शराबबंदी होने के बाद वहां के तस्करों के द्वारा ओडिशा से गांजा की तस्करी कर वहां खपाया जा रहा है। कुल तस्करी का 80 फीसदी गांजा बिहार में खपत किया जा रहा है। बीते पांच माह में बिहार निवासी 19 आरोपियों के गांजा तस्करी करते पकड़े जाने व 300 किलो गांजा जब्त होने से इसकी पुष्टि होती है।
 
नारकोटिक्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित नशीली दवाओं की श्रेणी में सूचीबद्घ मारीजुआना (गांजा) की खेती ओडिसा में व्यापक पैमाने पर की जाती है। देश के विभिन्न राज्यों में इसकी तस्करी की जाती रही है। मलकानगिरी की ओर से सुकमा, तोंगपाल, दरभा तथा जैपुर की ओर से चांदली -धनपुंजी मार्ग से जगदलपुर होते हुए अंतर्राज्यीय गांजा तस्करी गांजे की तस्करी करते रहे हैं।
 
दो साल पहले सीएनबी सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो की प्वाइंट पर स्थानीय पुलिस ने कोंडागांव दो ट्रक गांजा बरामद कर छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बिहार में नितिश सरकार द्वारा शराब पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ओडिशा का गांजा तस्करों के द्वारा बड़े पैमाने पर बिहार में खपाया जा रहा है।
 
ओडिसा में प्रति क्विंटल एक लाख रूपए की कीमत पर गांजा की खरीद होती है। वहीं बिहार ले जाकर इसे पांच से छह लाख रूपए प्रति क्विंटल की दर में खपाया जाता है। पुलिस गिरफ्त में आए गांजा तस्करों के अनुसार बिहार में शराबबंदी के चलते नशेड़ियों में गांजा का चलन काफी अधिक बढ़ गया है। इससे उनका मुनाफा भी बढ़ा है। लिहाजा तस्करों का फेरा ओडिसा की ओर बार-बार लग रहा है।
 
गांजा तस्कर पुलिस को गच्चा देने के लिए महंगी लग्जरी कारों का इस्तेमाल करते हैं। इनके द्वारा महंगी व लक्जीरियस वाहनों में गांजा तस्करी की जाती है ताकि पुलिस को संदेह न हो। मार्च माह में बिहार रामपुर निवासी आरोपी नंद किशोर को नगरनार पुलिस ने धनपुंजी के पास फोर्ड फीगो में गांजा तस्करी करते पकड़ा था। वर्तमान में बस्तर चौकी, बोधघाट व नगरनार में होंडा की एक करोड कीमत की कार जब्त खड़ी हैं। साल भर पहले दरभा थाने में होंडासिटी सवार गांजा तस्करों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग भी की थी। बाद में कार में गांजा छोड़ जंगल की ओर भाग खड़े हुए थे।
 
स्थानीय कोचिए कावड़ में गांजा लादकर अंदरूनी मार्गों से तस्करी करते हैं। कोचिए शहर के गांजा विक्रेताओं को हर माह गांजा पहुंचाते हैं। यहां 20 से 100 रूपए की पुड़ियों में इसे बेचा जाता है। पुलिस से बचने कोचिए ओडिशा प्रांत के लचनागुड़ा, गुप्तेश्वर, बंसुली, मांचाहांडी, मूरताहांडी व बोरगांव होते हुए पैदल मार्ग से बस्तर पहुंचते हैं।
 
गांजा का सेवन करने वालों के मुताबिक इसकी वेराइटी के अनुसार कीमत होती है। गांजा को चिलाबती, रसोबती व भूसा के नाम से जाना जाता है। सबसे अधिक नशीली व लट्ठदार गांजा चिलाबति कहा जाता है। इससे दोयम दजे को रसोबती व चूरा को भूसा कहा जाता है। चिलाबति गांजे की कीमत स्थानीय स्तर पर दो हजार रूपए किलो तक होती है।
 
बस्तर के एडिशनल एसपी विजय पांडे का कहना है ओडिशा की ओर से अवैध गांजा तस्करी करने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। मुखबिस से लगातार मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर सीमावर्ती थाना क्षेत्रों में कार्रवाई भी की जाती है।