भगवान ने बचा ली अमरकंटक एक्सप्रेस
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छत्तीसगढ़ में बिल्हा-दगौरी के बीच शनिवार सुबह भोपाल-दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बच गई। यह हादसा चॉबीदार भगवान दास की सूझबूझ व सजगता के कारण  टाला। गश्त के दौरान उन्होंने पटरियों पर गेप देखी।

 

कुछ देर के बाद यहां से अमरकंटक एक्सप्रेस गुजरने वाली थी। उन्होंने डेटोनेटर और लाल संकेत दिखाकर ट्रेन रोक दी। बारिश में पटरियों में पानी भरने और दरार जैसी दिक्कतें आने की आशंका रहती है। यही वजह है कि रेल प्रशासन द्वारा हर एक सेक्शन में मानसून पैट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है।

 

इसके तहत ट्रैकमैन ड्यूटी के दौरान अपने दायरे में पूरे समय पटरियों की जांच करता है। बिल्हा-दगौरी सेक्शन में स्टाफ प्रतिदिन पैट्रोलिंग करता है। चॉबीदार भगवान दास बिल्हा रेलवे स्टेशन से पैट्रोलिंग कर रहा था। इसी बीच उनकी नजर अपलाइन की ट्रैक फ्रैक्चर पर पड़ी।

 

ट्रैक एक इंच टूटी हुई थी। अगर इस ट्रैक से ट्रेन गुजरती तो हादसा होने की आशंका थी। भगवान दास ने ऐसे टाला हादसा थोड़ी देर बाद भोपाल-दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस वहां से गुजरने वाली थी। कटनी खंड पर ब्लॉक के कारण अमरकंटक एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से एक घंटे देर से चल रही थी।

 

यह ट्रेन सुबह 6.05 बजे बिलासपुर पहुंची। इसके बाद तय समय पर रवाना हो गई। इधर ट्रैकमैन ने दरार देखते ही दो डेटोनेटर (पटाखा) और लाल झंडी ली और बिल्हा की तरफ दौड़ने लगा। करीब एक किमी पीछे आकर उसने पटरी पर एक डेटोनेटर रखा। उसके बाद एक डेटोनेटर को आधे किमी में रखा। जैसे ही डेटोनेटर पर ट्रेन के पहिए पड़ते हैं पटखा की तरह फूटता है। इससे चालक को खतरे का अंदेशा हो जाता है।

 

ट्रैकमैन ने बड़ी ही सूझबूझ से अमरकंटक एक्सप्रेस के चालक को रेल फ्रैक्चर की सूचना दी। आधा किमी पीछे डेटोनेटर के अलावा वह लाल झंडी लेकर भी खड़ा था। जैसे ही ट्रेन पहुंची एक के बाद एक दो बार दोनों डेटानेटेर फटे। जिसे देखकर चालक ट्रेन को नियंत्रित करने लगा।

 

सामने चॉबीदार लाल झंडी के साथ दिखाई दिया। इससे चालक समझ गया आगे खतरा है और ट्रेन फ्रैक्चर से आधे किमी पहले रुक गई। इसके बाद ट्रैकमैन ने चालक को जानकारी दी। इसके अलावा कंट्रोल को सूचना दी गई। इसके बाद इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी व अन्य स्टाफ पहुंच गए।

 

इस दौरान सबसे पहले क्लेप लगाकर फ्रैक्चर को ठीक किया गया। इसके बाद 7.40 से ट्रेनों का परिचालन सुचारू हो गया। पायलेटिंग से गुजरीं ट्रेनें बिल्हा-दगौरी के बीच अप लाइन पर रेल फ्रैक्चर होने के कारण तत्काल में क्लेप लगाकर पटरी को ठीक तो कर लिया गया। लेकिन यह वैकल्पिक व्यवस्था थी।

 

यहां से ट्रेनें पायलेटिंग के जरिए गुजरीं। बाद में ब्लॉक लेकर फ्रैक्चर की वेल्डिंग की गई। दोपहर 3 बजे यह काम पूरा हुआ। इसके बाद ही ट्रेनें अपने निर्धारित स्पीड में यहां से गुजरीं। बेपटरी हो जाती ट्रेन इंजीनियरिंग विभाग के जानकारों की मानें तो पटरी का जितना हिस्सा टूटा हुआ था वह खतरनाक था। जैसे ही यहां से ट्रेन गुजरतीं वह बेपटरी हो जाती।