Since: 23-09-2009

Latest News :
विकसित भारत के लिए विकसित तमिलनाडु का दृष्टिकोण भाजपा का संकल्पः मोदी.   इस साल भारत में \'सामान्य से अधिक\' मानसून रहने की संभावना.   समाजवादी पार्टी का मुसलमानों से कोई सरोकार नहीं : मायावती.   80 बनेगा आधार, एनडीए करेगा 400 पार : योगी आदित्यनाथ.   केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती वाली याचिका पर ईडी को ‘सुप्रीम’ नोटिस.   बाबा साहब के सपनों को साकार करने वाली सरकार चुनें : मायावती.   मैडम सोनिया- राहुल गांधी ने मैदान छोड़ दिया : शिवराज.   खजुराहो में इंडिया गठबंधन ने फारवर्ड ब्लाक के प्रत्याशी आरबी प्रजापति को दिया समर्थन.   इस बार का चुनाव रामद्रोहियों और राम के पक्षधरों का चुनाव है: मुख्यमंत्री डॉ. यादव.   जीतू ने कसा तंज भाजपा ने चंदे को धंधा बनाया.   भाजपा प्रत्याशी की शिकायत पर कमलनाथ के पीए पर केस दर्ज.   प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध आदिवासी वर्ग पर हो रहे हैं: जीतू पटवारी.   छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में ईडी फिर एक्शन की तैयारी में.   मवेशियों का सड़क में डेरा बढ़ी दुर्घटना की आशंका.   राज्यपाल हरिचंदन उड़िया नव वर्ष उत्सव में शामिल हुए.   एक लाख के इनामी नक्सली के साथ सात नक्सली गिरफ्तार.   सड़क दुर्घटना में दो सगे भाइयों समेत तीन युवकों की मौत.   मैनपाट में घर में लगी आग की चपेट में आकर तीन बच्चे जिंदा जले.  
जीवट महिला से घबराई व्यवस्था
soni sori tiranga yatra

 

 

सोनी सोरी की तिरंगा यात्रा पर सवाल!

 

राजकुमार सोनी

 

मैं पुलिस का प्रवक्ता नहीं हूं और आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने भी मुझसे कभी नहीं कहा कि मेरी ऐसी खबर छाप देना...वैसी खबर छाप देना।

 

यह भी साफ कर देना चाहता हूं कि मैं सोनी सोरी का कोई बहुत बड़ा प्रशंसक भी नहीं हूं। सोनी सोरी किसी पार्टी की नेत्री होने से पहले एक आश्रम की शिक्षिका रही है और वह एक स्त्री है। मुझे एक शिक्षिका और एक स्त्री के कुछ फैसलों का सम्मान तो करना आना ही चाहिए।

 

यह सब मैं इसलिए भी लिख रहा हूं कि कल से एक बात ने मुझे परेशान कर रखा है। एक फोन आया। मुझसे कहा गया कि मैं दिगभ्रमित हो गया हूं। सोनी सोरी को लेकर जरूरत से ज्यादा लिख रहा हूं।

 

मैंने अपने स्टेट एडीटर को यह बात बताई तो उन्होंने मेरी हिम्मत बढाई और कहा कि ऐसा कुछ नहीं हैं।

 

मैं अपने आपसे भी बात करता रहा। यह सवाल अक्सर मेरे सामने तब से खड़ा होता रहा है जब मैं वर्ष 2005 में एक माओवादी लीडर भूपति का इन्टव्यूह करने बस्तर के जंगलों में गया था। तहलका में रहने के दौरान जब मैंने नेपाल के माओवादी लीडर प्रचंड से इन्टरव्यूह किया तब भी कुछ राष्ट्रभक्त पत्रकारों ने यह कहा था कि मेरी दिशा भटक गई है।

 

अरे भाइयों ये माओवाद...फाओवाद हमारी देन नहीं हैं। यदि छत्तीसगढ़ को यह चुनौती विरासत के तौर पर मिली है तो इसके लिए मैं दोषी नहीं हूं। यदि मैं पंजाब में पत्रकारिता कर रहा होता तो क्या वहां के आतंकवाद को कभी कवर नहीं करता क्या?

 

यह कहना शायद ठीक नहीं होगा कि सोनी सोरी को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है। मैंने कभी नहीं कहा आप उसे गिरफ्तार करो। उसके साथ अमानवीय व्यवहार करो। जेल में उसे भूखा रखो। वहशी होने का परिचय देते हुए गुप्ताग में पत्थर डालो? 

मैंने कभी नहीं कहा कि आप और आपके गुण्डे उसके चेहरे पर कालिख मले। मैंने नहीं कहा....और मेरे जैसे बहुत से लोगों ने यह नहीं कहा होगा कि आप एक स्त्री के साथ टुच्चे और मवाली की तरह पेश आए।

 

सोनी सोरी तिरंगा यात्रा निकाल रही है तो क्या गलत कर रही हैं? बहुत से लोगों को यह सवाल परेशान कर रहा है कि सोनी सोरी की यात्रा में मुट्ठी भर लोग चल रहे हैं। उन्हें यह सवाल विचलित नहीं कर रहा कि सोनी सोरी को यात्रा के दौरान बार-बार कोर्ट क्यों आना पड़ रहा है। जरा इस आने-जाने की तह में जाइए तो बहुत से सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

 

यात्रा एक प्रतीक है कि जिस बस्तर में कोई लोकतंत्र नहीं है वहां कोई हाथ में संविधान की किताब और तिरंगा लेकर निकला हुआ है। तंत्र और उससे जुड़े लोगों की मोटी बुद्धि में यह बात अगर घुस जाती है तो यह बड़ी बात होगी।

 

यात्रा में बहुत भीड़ चली भी आई तो क्या होगा? यात्रा में शामिल एक सज्जन बता रहे थे- सब लोग अपने-अपने साधन से आए हुए हैं। जैसा बन रहा है वैसा हो रहा है। कोई खाना पकाता है तो कोई नीम की दातौन का जुगाड करता है। सज्जन का कहना था- यदि तिरंगा यात्रा पुलिस वाले निकालते तो शायद जगह-जगह मार्च पास्ट होता। कोई घोड़े में बैठकर तिरंगा लेकर चल रहा होता तो कोई साउथ की फिल्मों में नजर आने वाले फिल्मी गुण्डो की तरह खुली जीप में भी नजर आता। तिरंगा यात्रा के दौरान तीन-चार माओवादियो की शादी भी हो जाती।

 

मैं तिरंगे के साथ हूं 

इसलिए इस यात्रा की नीयत के  साथ हूं। देश के बहुत से समझदार लोग इस यात्रा को एक सही कदम के तौर पर देख रहे हैं। मुझसे तो किसी ने नहीं कहा कि सोनी सोरी तिरंगा यात्रा निकालकर गलत कर रही हैं। कुछ दिनों पहले जब मैंने अग्नि संगठन के लोगों से बात की थी तब उन्होंने भी कहा था कि सोनी को तिरंगा फहराने से हम कैसे रोक सकते हैं?

 

अब जो बात मैं कहने जा रहा हूं उस पर जरा गौर फरमाइए।

 

सवाल यह नहीं हैं कि सोनी की तिरंगा यात्रा में दस लोग हैं या बीस लोग हैं?

 

सवाल यह है कि क्या सोनी माओवाद के सबसे बड़े गढ़ समझे जाने वाले गोमपाड गांव में 15 अगस्त को तिरंगा फहरा पाएगी?

 

यदि सोनी सोनी वहां झंडा फहरा देती है तो यह उस व्यवस्था के गाल में जोरदार तमाचा होगा जिस व्यवस्था की वजह से आज तक ( आजादी के बाद से लेकर अब तक ) गोमपाड गांव में तिरंगा नहीं फहर पाया है।

 

कितने शर्म की बात है कि छत्तीसगढ़ में एक गोमपाड एक ऐसा गांव है जहां अब तक तिरंगा नहीं फहरा जा सका है? और भी कई गांव 

ऐसे हैं। लेकिन ये किसकी असफलता है? यदि सरकार यह कहती है माओवादी झंडा नहीं फहराने देते तो सीधे तौर पर सरकार की नाकामी है।

 

पुलिस और उनके नुमाइन्दे इस बात से  परेशान चल रहे हैं कि सोनी सोरी की तिरंगा यात्रा का जवाब कैसे दे?

 

यदि सोरी दस-बीस लोगों के साथ ही सही तिरंगा लहराने में कामयाब हो जाती है तो यह सवाल तो उठेगा ही कि सरकार की भारी-भरकम फौज इतने सालों से क्या भजिया-पकौड़ी खा रही थी?

 

व्यवस्था चाहे कितनी ही वाहियात क्यों न हो....वह कभी नहीं चाहेगी कि एक औरत तमाचा मारकर चली जाए।

 

आपको क्या लगता है? 

भई....मुझे तो यही लगता है कि व्यवस्था इस जीवट औरत से घबराई हुई हैं।(टुडे न्यूज़ से)

MadhyaBharat 13 August 2016

Comments

Be First To Comment....
Video

Page Views

  • Last day : 8641
  • Last 7 days : 45219
  • Last 30 days : 64212


x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.