पीएससी गड़बड़ी :कई अधिकारियों की कुर्सी खतरे में
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हाईकोर्ट के निर्देश से कई लोगों को आया पसीना 

 

छत्तीसगढ़ में पीएससी 2003 को लेकर दायर याचिका में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया है। उच्च प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक दर्जन से ज्यादा डीएसपी और पांच डिप्टी कलेक्टर प्रभावित होंगे। वहीं, 20 से ज्यादा उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

 

बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों का डिमोशन भी हो सकता है। पीएससी 2003 में 147 अधिकारियों का चयन हुआ था। सूत्रों की मानें तो क्लास टू चयनित 52 अधिकारियों में से 19 ऐसे हैं, जो इंटरव्यू की पात्रता भी नहीं रखते हैं। 31 अक्टूबर तक नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। जो मेरिट लिस्ट के आधार पर चयनित नहीं होंगे, उनको सेवा से बर्खास्त किया जाएगा।

 

पीएससी में गड़बड़ी की जानकारी एंटी करप्शन ब्यूरो ने पहले ही राज्य शासन को दे दी थ्ाी, लेकिन उस समय कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एसीबी के तत्कालीन आईजी आनंद तिवारी ने सामान्य प्रशासन विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें वर्षा डोंगरे की शिकायत को सही बताया गया था। वर्षा को चयनित नहीं करने के लिए उसके कागजात में कांटछांट भी की गई। तिवारी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा था कि वर्षा से कम अंक पाने वाले को ऊंचे पदों पर नियुक्ति दी गई।

 

साल 2003 के पीएससी इम्तिहान को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना है कि चयन में भारी पैमाने पर गड़बड़ियां हुई है और पीएससी की मेरिट सूची में हेराफेरी हुई है। इसलिए दोबारा से मेरिट सूची बनाई जाये। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि परीक्षा में एंथ्रोप्लॉजी का पेपर दोबारा से जायेगा।  वहीं इंटरव्यू के सेलेक्शन से वंचित रहे उम्मीदवारों के लिए भी दोबारा से इंटरव्यू कॉल करने का निर्देश जारी किया गया है। खास बात ये कि पीएससी को इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए सिर्फ दो महीने का वक्त दिया  गया है। 21 अक्टूबर तक नई मेरिट सूची पीएससी को तैयार करनी होंगी । 

 

जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट के आदेश के बाद 56 उम्मीदवारों के पदों में फेरबदल होगा  । कई मौजूदा अफसर आज फैसले को सुनने के लिए हाईकोर्ट में मौजूद थे ,जो फैसले के बाद अपने आंसू को नहीं छुपा सके और रोते हुए हाईकोर्ट से निकले। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये भी बताया है कि जो नये मेरिट लिस्ट के आधार पर चयनित नहीं होंगे ,उन्हेें सेवा से बर्खास्त कर दिया जायेगा। मानव विज्ञान यानि एंथ्रोपलॉजी का एक यार्ड स्टिक आधार पर नये सिरे से उत्तर पुस्तिका की जांच की जायेगी और नई  मेरिट लिस्ट तैयार की  जायेगी । खास बात ये कि इस मामले की मुख्य याचिकाकर्ता वर्षा डोंगरे को 5 लाख रुपये और रविंद्र सिंह व चमन सिन्हा को 2-2 लाख रुपये भी पीएससी को देेने का आदेश दिया गया है। 31  अक्टूबर तक लोक सेवा आयोग को समस्त विषयों की  नये सिरे से सभी मुख्य परीक्षा में सम्मिलत हुए छात्रों की स्कॉलिंग कर नई  मेरिट लिस्ट बनेगी। 

 

इस मामले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि पीएससी पर हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी मिली है। विधि सचिव और वरिष्ठ अधिकारी फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। फैसले का विस्तृत अध्ययन करने के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। 

 

वहीँ पीएससी के अध्यक्ष आरएस विश्वकर्मा का कहना है कोर्ट के निर्णय का पालन किया जाएगा। अभी आदेश की कॉपी नहीं मिली है। आदेश का पहले अध्ययन किया जाएगा, इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।