अग्रवाल मस्त ,गुरूजी पस्त ,एबीवीपी ध्वस्त
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राजेन्द्र जायसवाल 

अग्रवाल बंधु फिर आमने-सामने :संभाग के दो बड़े अग्रवाल नेता अमर अग्रवाल व जयसिंह अग्रवाल किसी भी मौके पर आमने-सामने हुए तो एक-दूसरे पर गहरा कटाक्ष किए बगैर रह नहीं सकें हैं। चाहे विधानसभा में अमर अग्रवाल को कोरबा से चुनाव लडऩे की चुनौती देने की बात हो या जब कभी भी कोरबा प्रवास पर अमर अग्रवाल पहुंचे हों तो वे जयसिंह अग्रवाल के लिए कोई कटाक्ष किए बिना नहीं रहे। एक बार फिर अमर अग्रवाल ने जयसिंह अग्रवाल पर विधानसभा में दी गई चुनौती का जवाब देते हुए यह तक कह डाला कि वे निगम एक्ट का पालन नहीं कर सकते तो पद छोड़ दें।

 

नेता-अफसर क्लास में, गुरुजी पस्त

इन दिनों शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत नेता और अफसर किसी भी स्कूल में औच्चक दस्तक दे रहे हैं। जहां नेता और अधिकारियों को संतोषजनक मिला, वहां से जाने के बाद गुरुजी राहत की सांस लेते नजर आते हैं। पुलिस अधिकारी भी ग्रेडिंग के लिए स्कूलों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में उन स्कूलों के गुरूजियों की हालत पस्त है जहां अभी तक न तो नेता पहुंचे हैं और न अधिकारी। ऐसे भी गुरुजी की हालत खराब है जो अक्सर या तो नेतागिरी या फिर कोई न कोई बहानेबाजी कर स्कूल से गायब रहते हैं। अब इन बेचारों को डर में ही सही, स्कूल में ड्यूटी बजाने की मजबूरी उठानी पड़ रही है। 

 

अभाविप की हालत बेहाल

छात्र संघ चुनाव ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेताओं की हालत खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कभी तनकर तो कभी ऐंठकर चलने वाले नेता को सालभर उसके द्वारा की गई नाटक-नौटंकी और तरह-तरह के प्रयासों से विद्यार्थियों का दिल जीतने की कोशिशों का परिणाम अंतत: छात्रों ने दिखा ही दिया। पाली के मान्यता रद्द कॉलेज व मात्र 16 छात्रों के एक कालेज में निर्विरोध और दूसरे में सिर्फ 2 पद से ही संतोष करना पड़ा है। यह पिछले क्रम से मिली उपलब्धि अभाविप और इससे जुड़े शीर्ष नेताओं को सोंचने पर तो विवश करती है और यह भी इंगित करती है कि नेतृत्व कोई खेल-खिलौने जैसे खेलने की चीज नहीं होती। 

 

एनएसयूआई ने बचाई लाज

महाविद्यालयों के छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई ने ले देकर अपनी लाज बचा ही ली। एक वो दौर था जब इसके टक्कर में प्रत्याशी कम उतरा करते थे और अब यह दौर है कि थोड़े बहुत में संतोष करने में ही भलाई समझी जा रही है। यह तो जिले में एनएसयूआई की थोड़ी बहुत सक्रियता का अंजाम है कि उसे आईटी व पालिटेक्नीक कॉलेज में कुछ अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी मिल गए वरना स्थिति तो यह थी कि एनएसयूआई कहीं से भी अपने प्रत्याशी उतारने की मंशा से खुद को कोसों दूर रख रही थी। चुनाव में भाग न लेना भी एक तरह की कायरता का परिचायक होती, इसलिए मैदान में उतरकर हारने में भलाई समझी गई। 

 

छात्र एकता पैनल की जोर आजमाइश

छात्रों के संगठन चुनाव में छात्र एकता पैनल की जोर आजमाइश पूरे चुनाव का केन्द्र बिन्दु इसलिए रही कि पीजी कालेज में जिस तरह के हालात एक-दूसरे छात्र संगठन के कारण बनते रहे और यहां नवउदित दल ने भी अपने दांव खेले थे। कन्याओं के कालेज में भी एकता पैनल ने एबीवीपी का किला नेस्तनाबूद करने का दम दिखाया। पूर्व छात्र नेता की अगुवाई में निवृत्तमान होने वाले पदाधिकारियों और प्रत्याशियों के दम ने इस आजमाईश को सफल बनाया। 

 

जोगी कांग्रेस ने दिखाई ताकत 

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व में बनी पार्टी के द्वारा समर्थित छत्तीसगढ़ पैनल ने चुनाव में अपना जादू फिर से न सिर्फ कायम रखा बल्कि दुगने उत्साहपूर्ण सफलता का रास्ता भी तलाशा। जोगी फैक्टर इस चुनाव में काम कर गया व जोगी की लहर में दूसरे पैनल व संगठन के प्रत्याशी बह गए। जोगी कांग्रेस की ताकत ने एक बार फिर भविष्य की राजनीति को लेकर चिंता की लकीर जरूर खींच दी है, किन्तु चुनावों में अक्सर युवा तुर्क की लहर परिणाम बदलने के लिए काफी होती है। 

जंगल में मोर नाच रहे, अमला सो रहा

पूरे जंगल की रक्षा करने वालों का दावा उस समय खोखला हो गया जब आधी रात अमले के बड़े अफसर के बंगले में घुसकर चंदन के पेड़ बड़े इत्मिनान से काट लिए गए। आंख से काजल चुराने की तर्ज पर डीएफओ बंगला से चंदन के पेड़ की चोरी से अमला सकते में है। जंगल में मोर नाचा किसने देखा जैसा जुमला अक्सर सुनाने वाले विभाग के अधिकारियों के साथ ठीक विपरीत बात हो गई कि जंगल में मोर नाच रहे हैं और अमला सो रहा है। 

अफवाह यह भी 

अब यह अफवाह कौन फैला रहा है कि चुनाव में खराब प्रदर्शन वाले अभाविप के छात्र नेताओं को उनका संगठन जल्द ही बाहर का रास्ता दिखाने वाला है। 

एक सवाल आप से ?

बीयू अध्यक्ष के लिए नोटों की गड्डी लेकर कौन युवा नेता छात्र संघ पैनल तक पहुंच रहा है?