12 हजार के शौचालय का इस्तेमाल कर देखें रमन सिंह
amit jogi -raman singh

राजनांदगांव में शौचालय निर्माण के लिए दबाव और हत्या मामले में बोले अमित जोगी

राजनांदगांव में  मरवाही विधायक अमित जोगी ने शौचालय निर्माण के लिए राजनांदगांव जिले में हुई हत्या मामले में कहा है कि यह अभियान पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। गांव-मोहल्लों को ओडीएफ घोषित करवाने के लिए शासन स्तर पर जो दबाव डाला जा रहा है इसी की परिणीति है यह घटना। शौचालय निर्माण के लिए दबाव को देखें तो यह तो इमरजेंसी जैसे हालात लग रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि महज 12 हज़ार रुपए शौचालय बनाने के लिए दिए जा रहे हैं वह भी शौचालय बनवा लेने के बाद, इससे गरीब आदमी खासतौर से गरीबी रेखा से नीचे के लोग, वह कहां से बनवा सकेंगे। लेकिन प्रतिनिधि और शासन दोनों ही इस बात को समझे बिना दबाव डाले जा रहे हैं। मरवाही विधायक ने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को चुनौती देते हुए कहा कि वे खुद 12 हज़ार रुपए में शौचालय निर्माण कर उसका उपयोग कर दिखाएं। तब उन्हें हकीकत मालूम चलेगी कि 12 हज़ार रुपए में कैसा शौचालय बन रहा है, कैसी गुणवत्ता वाला निर्माण हो रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मुहिम पूरे तौर पर खोखला साबित हो रही है,इस अभियान के विज्ञापन में ही अरबों रुपए फूंक दिए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने के लिए महज 12 हज़ार रुपए प्रति शौचालय दिए जा रहे हैं। इतनी रकम में कैसी गुणवत्ता मिलेगी, उपर से इसी रकम में से सरकारी कर्मचारी अपना कमीशन भी निकाल ले रहे हैं, बाकी रकम में जो शौचालय बन रहा है वह शौचालय के नाम पर महज उसका ढांचा होता है। और यही ढांचा ही ओडीएफ घोषणा में काम आता है। कुल मिलाकर यह है कि रमन राज में हर मामले में आंकड़ों की बाजीगरी होती है, चाहे हकीकत में काम हुआ हो या न हुआ हो या फिर बेकार गुणवत्ता वाला काम हुआ हो। राज्य में जितने शौचालय बन रहे हैं उनमें 90 फीसदी तो गुणवत्ताहीन है, और 80 फीसदी में पानी नहीं है।

मरवाही विधायक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थिति यह है कि कई गरीब परिवार महज यह शौचालय बनवाने के लिए ही कर्ज ले रहे हैं,क्योंकि उन पर इतना दबाव है शौचालय बनवाने के लिए। इसी दबाव के चलते ही अब हत्याएं भी हो रही है। शौचालय बनवाने के बाद 12 में से महज 8 हजार ही उनके हाथ में पहुंच रहा है बाकी कमीशन में जा रहा। राज्य सरकार को कोयले से राजस्व आता है,खनिज से इतना राजस्व आता है, सरकार चाहे तो खुद बनवा कर दे सकती है शौचालय और ऐसा ही करना भी चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान के विज्ञापन के लिए जितने रुपए खर्च हो रहे हैं, उसका एक फीसदी भी अगर शौचालय  निर्माण में लगा दें तो लोगों को दबाव नहीं झेलना पड़ेगा। ओडीएफ घोषित करने की हड़बड़ी में इन सब हालात को सरकार नहीं देख पा रही है।