राज्य वित्त निगम को पहले की तरह 90 प्रतिशत पुनर्वित्त मिले
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि लाभार्जन तथा नियमित भुगतान करने वाले राज्य वित्त निगम को पहले की तरह 90 प्रतिशत पुनर्वित्त प्रदान किया जाये। साथ ही राज्य वित्त निगम द्वारा जारी बांड की निवेश सीमा में वृद्धि की जाये।मुख्यमंत्री चौहान ने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि राज्य शासन और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा राज्य में लघु एवं मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों के वित्त पोषण के लिये राज्य वित्त निगम की स्थापना की गई थी। इसके बाद से ही सिडबी द्वारा ऋण व्यवसाय के लिये निरंतर निगम की कुल जरूरत का लगभग 90 प्रतिशत पुनर्वित्त प्रदान किया जाता रहा है। परन्तु वर्ष 2010 से सिडबी द्वारा निर्णय लिया गया कि समस्त वित्त निगम को पुनर्वित्त वर्ष 2017 से पूर्णत: समाप्त कर दिया जाये। इसके परिणाम में निगम की पुनर्वित्त राशि अत्यधिक कम होगई है।मध्यप्रदेश वित्त निगम निरन्तर लाभार्जन कर सतत् आयकर का भी भुगतान कर रहा है। निगम को क्रेडिट रेटिंग A - प्राप्त है तथा इसका समस्त ऋणों के प्रति भुगतान भी समयबद्ध और नियमित है। इसलिये सिडबी को ये निर्देशित करना उचित होगा कि लाभार्जन करने वाले तथा नियमित भुगतान करने वाले वित्त निगमों को पूर्वानुसार पुनर्वित्त करना जारी रखा जाये।इसी प्रकार वित्त निगमों द्वारा पूर्व में बाजार में बॉण्ड्स के जरिये आवश्यक धनराशि लगभग 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज पर उपलब्ध होती थी। परन्तु वित्त मंत्रालय द्वारा 2 मार्च, 2015 को भविष्य निधि एवं अन्य फण्ड्स को यह निर्देशित किया गया है कि राज्य शासन द्वारा प्रतिभूति के आधार पर लाये गये बॉण्ड़्स निर्गमों पर इन फण्ड्स की विनियोग राशि के 10 प्रतिशत से अधिक राशि का निवेश नहीं किया जा सकता।उल्लेखनीय है कि इन फण्ड्स द्वारा 10 प्रतिशत की सीमा को पूर्व में ही प्राप्त कर लिया गया है। इसलिए अब नये निवेश की कोई संभावना नहीं है। परिणामस्वरूप वित्त निगमों को बॉण्ड्स जारी कर वित्त प्राप्त करने के स्थान पर वाणिज्यिक बैंकों से 11 प्रतिशत या उससे अधिक ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करना पड़ रहा है जो लाभप्रदता की दृष्टि से उचित नहीं है। अत: केन्द्र शासन द्वारा दिशा-निर्देश में यथोचित संशोधन कर इन बॉण्ड़्स की निवेश सीमा में वृद्धि की जाये। मध्यप्रदेश शासन द्वारा राज्य में विशेषकर पिछड़े क्षेत्रों में नवीन लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए सघन प्रयास किये जा रहे हैं।