राज्यों ने केन्द्र से माँगा 25 प्रतिशत का फ्लेक्सी फण्ड योजनाओं की संख्या 50 करने की सिफारिश
मुख्यमंत्री एवं नीति आयोग द्वारा गठित केन्द्र पोषित योजना उप समूह के संयोजक शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में अन्य सदस्यों के साथ रिपोर्ट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी। इस अवसर पर श्री चौहान के साथ अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड, मणिपुर और तेलंगाना राज्यों के मुख्यमंत्री सहित केन्द्र शासित प्रदेश पाण्डिचेरी के उप राज्यपाल मौजूद थे। यह उप समूह केन्द्र पोषित योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न और योजनाओं के युक्तियुक्तकरण करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री द्वारा मार्च 2015 में गठित किया गया था।श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह रिपोर्ट टीम इंडिया की भावना से काम करने के उद्देश्य को मद्देनजर रखते हुए तैयार की गई है। इसमें मुख्यतः केन्द्र परिवर्तित योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न का बेहतर प्रयोग और साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के हितों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। श्री चौहान ने बताया कि रिपोर्ट को तैयार करने में हमने न केवल उप समूह के सदस्य राज्यों की सलाह ली है बल्कि केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अन्य राज्य सरकारों से भी सलाह मशविरा किया। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट सर्व-सम्मति से तैयार कर अनुशंसाएँ प्रधानमंत्री को सौंपी गई हैं।श्री चौहान ने अनुशंसाओं के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि अभी तक संचालित 72 केन्द्र पोषित योजनाओं को घटाकर 50 कर दिया गया है। योजनाओं को मुख्यतः तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है। पहला कोर सेक्टर, दूसरा कोर ऑफ कोर सेक्टर और तीसरा ऐच्छिक। कोर सेक्टर में मुख्यतः पेंशन, मनरेगा आदि और कोर ऑफ कोर सेक्टर में स्वास्थ्य, सिंचाई, ऊर्जा आदि और ऐच्छिक में राज्य आधारित योजनाएँ शामिल की गयी हैं। अनुशंसाओं के अनुसार कोर ऑफ कोर सेक्टर के लिए फण्डिंग पैटर्न 90:10 यथावत रखा जाएगा। कोर सेक्टर के लिए पहाड़ी राज्यों के लिए 90:10 और अन्य राज्य के लिए फण्डिंग पैटर्न 60:40 रखने की सिफारिश की गई है। ऐच्छिक योजनाओं के लिए पहाड़ी राज्यों के लिए 80:20 और अन्य राज्य के लिए 50:50 फण्डिंग पैटर्न रहेगा। केन्द्र शासित राज्यों के लिए केन्द्र सरकार पूर्व की भाँति 100 प्रतिशत सहायता करती रहेगी।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उप समूह की सिफारिशों को चालू वित्त वर्ष से ही लागू करने की माँग की है। साथ ही राज्यों के लिए 25 प्रतिशत अलग से फ्लैक्सी फण्ड रखने का भी सुझाव दिया है जिसे राज्य सरकार अपनी जरूरत और माँग के अनुसार योजनाओं में खर्च कर सकेगी। आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय दो साल तक यथावत रखा जाने की भी बात कही गयी है। श्री चौहान ने मार्च 2015 तक स्वीकृत योजनाओं का फण्डिंग पैटर्न यथावत रखने की भी वकालत की है। श्री चौहान ने दी गई अनुशंसाओं की समीक्षा दो वर्ष बाद किये जाने की बात भी कही। श्री चौहान ने नीति आयोग से प्रत्येक राज्य की हर छह माह में बैठक करने की भी माँग की। उप समूह की रिपोर्ट में राज्य सरकारों द्वारा समय पर उपयोग प्रमाण-पत्र न दिये जाने पर केन्द्र सरकार द्वारा समय पर अगली किश्त जारी न किये जाने की समस्या के बारे में भी सुझाव दिये गये हैं।