\'दुनिया में लोगों ने फिर अपने दिल थामे, आया हूं लेकर मैं फिर कितने हंगामे\'... डॉन फिल्म के इस गाने के साथ जब बॉलीवुड सिंगर शान ने एंट्री की तो बिल्कुल डॉन सा एहसास हुआ। शान ने गाया \'मुझको पहचान लो मैं हूं शान\'.. फिर देखना क्या था पूरी ऑडियंस गैलरी तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। लंबे इंतजार के बाद कई सुपर स्टार को अपनी अवाज दे चुके शान को सुनने आईएएस, आईपीएस जैसे आला अधिकारियों के साथ ऑडियंस गैलरी में हजार से भी ज्यादा लोग मौजूद थे। मौका था राज्योत्सव 2016 के सांस्कृतिक मंच का।
शान जब इस गाने के साथ पहले दिन की आखिरी प्रस्तुति लेकर मंच पर आए, तो ऑडियंस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शान ने इसके बाद \'बहती हवा सा था वो\', \'बिन कुछ कहे बिन कुछ सुने हाथों में हाथ लिए, चार कदम बस चार कदम चल दो न साथ मेरे\' जैसे गाने गाए। शान ने कई मशहूर गानों से ऑडियंस की तालियां बटोरी।इस दौरान शान ने छत्तीसगढ़ स्थापना के 16 साल पूरे होने पर सभी को शुभकामनाएं दीं और कहा कि छत्तीसगढ़ इतने कम समय काफी आगे बढ़ गया है। मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे यहां परफॉर्म करने का मौका मिला।
मंच पर शान से पहले सारेगामा फेम सोमदत्ता भट्टाचार्य और सुमेधा कर्महे ने भी प्रस्तुति दी। सोमदत्ता ने \'मैं तैनू समझावां क्यूं\' गाकर समां बांधा। वहीं सुमेधा ने हिन्दी गानों के अलावा छत्तीसगढ़ी गाना गाया और आखिर में दिल्ली 6 का गाना \'ससुराल गेंदा फूल\' गाकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
राज्योत्सव के मंच पर शास्त्रीय नृत्व भरतनाट्यम, ओडिसी और कथक ने भी दर्शकों का मन मोह लिया। बेंगलुरु की नृत्यांगना पूर्णिमा अशोक ने संस्कृत में श्री कृष्ण की प्रशंसा पर लिखी \'अधरम मधुरम वदनम मधुरम नयनम मधुरम हसितम मधुरम, हृदयम मधुरम गमनम मधुरम मधुराधिपतेरखिलम मधुरम\' श्लोक पर नृत्य प्रस्तुत किया।
इस नृत्य के जरिए भगवान कृष्ण के अधर (होठ), मुख (चेहरे), नेत्र, हंसी, हृदय को मधुर बताया। भारतीय शास्त्रीय नृत्य में भरतनाट्यम के अलावा गुड़गांव के पतित कला ग्रुप ने कविता मोहंती के नेतृत्व में ओडिसी और कथक की जुगलबंदी की। इसके अलावा साथियों ने दशम् विद्या के जरिए 40 मिनट तक देवी के दस रूपों को प्रस्तुत किया।
पहले दिन छत्तीसगढ़ी फैशन शो भी आकर्षण का केन्द्र रहा, जिसमें कोलकाता के मॉडल्स ने पिछले 100 साल के छत्तीसगढ़ी लाइफ स्टाइल को प्रस्तुत किया। स्वातीज ग्रुप की तरफ से इस शो में खानपान, कपड़े, रहन-सहन को दर्शाया गया। स्वाति सोनी ने अपने ग्रुप के साथ लगभग आधे घंटे तक इसकी प्रस्तुति दी। इस दौरान कर्मा, सुआ नृत्य भी प्रस्तुत किए गए, जिसे स्थानीय कलाकारों ने किया।
मंच पर रंग छत्तीसगढ़, लोक रंग, लोक नृत्य, गुजरात राज्य का लोक नृत्य और ड्रम्स ऑफ इंडिया का भी खासा आकर्षण रहा। अर्जुंदा के दीपक चंद्राकर ने लोक रंग, पद्म भूषण तीजन बाई, पद्मश्री पूना राम निषाद, पद्मश्री ममता चंद्राकर और सुरुज बाई पांडे ने रंग छत्तीसगढ़ प्रस्तुत किया। दक्षिण-मध्य क्षेत्र सांस्कृति परिषद की तरफ से ड्रम्स ऑफ इंडिया और गुजरात के लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसके अलावा दंतेवाड़ा के गौर माड़िया, बेमेतरा के कर्मा, शोभिता श्रीवास्तव ने नृत्य और बेमेतरा के वर्ल्ड एकेडमिक स्कूल के बच्चों ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया।