बिजली विभाग उतरा विरोध में
छत्तीसगढ़ में बिजली कंपनियों के प्राइवेट लिमिटेड होने के बाद यह आशंका बढ़ गई है कि नए टेरिफ में बिजली के दाम बढ़ जाएंगे। बिजली मामलों के जानकारों का कहना है कि सरकार ने खर्चों में कटौती का हवाला देकर बिजली कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड किया है, लेकिन इससे न तो खर्चों में कमी आएगी, न ही आम आदमी को लाभ होगा।
विद्युत मंडल से बिजली कंपनी बनने में बिजली के दाम तीन गुना ज्यादा बढ़ गए। वर्ष 2009 में विद्युत मंडल के समय दो रुपए से कम में बिजली की सप्लाई होती थी, जो बिजली कंपनी बनने के बाद 6 रुपए से ज्यादा हो गई है। जानकारों की मानें तो जिस प्रदेश में निजी कंपनियां आई हैं, वहां बिजली के दाम में मनमानी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में सरप्लस स्टेट होने के बावजूद छत्तीसगढ़ में दाम बढ़ेगा।
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि देश में छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जहां बिजली कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा विभाग के अधिकारी जिस कंपनी एक्ट का हवाला देकर प्राइवेट लिमिटेड करने जा रहे हैं, उसमें संशोधन हुआ था। कंपनी एक्ट के नए संशोधन के आधार पर पब्लिक लिमिटेड कंपनी के कामकाज को पारदर्शी बनाने की पहल की गई थी।
इसमें कंपनी के बिजनेस के आधार पर डायरेक्टरों की नियुक्ति करनी थी। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने डायरेक्टरों की संख्या बढ़ने का हवाला देकर इसे स्वीकार नहीं किया। अधिकारियों ने बताया कि कंपनी एक्ट में प्रावधान है कि योग्य और अनुभवी अधिकारियों को डायरेक्टर बनाया जा सकता है, लेकिन विभाग ज्यादा लोगों को निर्णय लेने वाली बाडी में शामिल नहीं करना चाहती है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया। यही नहीं, इसमें सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का एक अधिकारी और एक महिला को डायरेक्टर बनाना था।
सरकार के फैसले के विरोध में कर्मचारी संगठन उतर गए हैं। छत्तीसगढ़ विद्युत अधिकारी एवं कर्मचारी समन्वय समिति में 13 संगठनों ने विरोध का निर्णय लिया है। अभियंता संघ के महासचिव पीके खरे ने बताया कि सरकार के निर्णय से 18 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। उन्होंने बताया कि बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए देश में इंटीग्रेटेड सिस्टम बनाया जा रहा है, जबकि प्रदेश में इसके उलट निजीकरण किया जा रहा है। इसका संयुक्त अधिकारी कर्मचारी संघ विरोध करेगा। अगर आदेश को तत्काल निरस्त नहीं किया गया, तो कर्मचारी मंगलवार को गेट मिटिंग करके विरोध करेंगे।
बिजली कंपनी के आला अधिकारियों ने बताया भाजपा शासित राज्य असम में कई बिजली कंपनियां थी, लेकिन कामकाज को सुधारने के लिए वहां सभी कंपनियों को मिलाकर बिजली बोर्ड का गठन किया गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में नया प्रयोग करके सरकार सही कदम नहीं उठा रही है।
माकपा ने पब्लिक लिमिटेड विद्युत कंपनियों को प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में बदलने के भाजपा सरकार के निर्णय को विद्युत क्षेत्र का निजीकरण करार दिया है। माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि यह केवल शब्दों की हेरा-फेरी नहीं है, जैसा कि सरकार का दावा है। बल्कि अब इन कंपनियों से सरकार का नियंत्रण ही पूरी तरह से ख़त्म हो जायेगा।
आप के प्रदेश सचिव नागेश बंछोर ने बताया कि पहले भी बिजली की दरों को बढ़ाने वाले निर्णय लेने वाली रमन सिंह सरकार के इस निर्णय से बिजली की दरें आसमान छूने लगेंगी। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार पड़ेगी।