सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नंदिनी सुंदर व अन्य के खिलाफ दर्ज हत्या के मामले को लेकर केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि कोई (केंद्र और राज्य सरकार)भी नक्सल समस्या के शांतिपूर्ण समाधान खोजने को लेकर गंभीर नहीं है। कोर्ट ने इस दौरान केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार के कहा कि वह जीवन के व्यवहारिक पक्ष को समझे और नक्सल समस्या के शांतिपूर्ण समाधान खोजने की दिशा में प्रयास करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस आदर्श गोयल की पीठ के रुख को देख छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 नवंबर तक नंदिनी सुंदर और अन्य के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई न करने का भरोसा दिया। वहीं कोर्ट ने कहा कि वह किसी पर कोई आरोप नहीं लगा रहे है, लेकिन हमें जीवन के व्यवहारिक पक्ष को देखते हुए नक्सल समस्या के शांतिपूर्ण हल की दिशा में काम करना चाहिए।
बता दें कि सात नवंबर को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक ग्रामीण आदिवासी की हत्या हो गई थी।जिसमें पुलिस ने दिल्ली विवि के प्रोफेसर नंदिनी सुंदर,जेएनयू विवि की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद और अन्य कई लोगों को आरोपी बनाया था। इस दौरान कोर्ट में नंदिनी सुंदर और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक देसाई ने अपना पक्ष रखा। साथ ही सरकार की कार्रवाई का विरोध किया।