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राजेन्द्र जायसवाल
भगवाधारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा लांच किया गया 2000 का नया नोट इन दिनों कभी नोट के भीतर लगे चिप तो मोदी एप लोड करने के बाद दिख रही विडियों से खूब चर्चा बटोर रहा है। अब इस नोट के गुलाबी रंग को लेकर लोग चटकारे भरी बातें करने लगे हैं कि आखिर इस गुलाबी प्रेम के पीछे राज क्या है? 2000 का नोट लेने गये अब एक ग्रामीण ने कैशियर से पूछ डाला कि भईया इसमें दूसरे रंग का नोट मिलेगा क्या?
नहले पर दहला
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेल बजट को वित्त बजट में समाहित कर अनावश्यक व्यय पर रोक लगाने का संदेश देने के बाद अब स्वयं 500 व 1000 के नोट बंद करने की घोषणा कर दी। प्रधानमंत्री के इस निर्णय के नहले पर कोरबा के जनप्रतिनिधि विनोद सिन्हा ने यह दहला मारा है कि जब रेल बजट नहीं तो रेल मंत्री का पद क्यों? और जब मोदी जी स्वयं वित्तमंत्री और आरबीआई गवर्नर को किनारे कर नोट बंद कर रहे हैं तो भारी भरकम केन्द्रीय मंत्रीमंडल को शून्य कर देश का अरबों रूपया व्यय होने से रोकें।
कर्जा दे रहे हो क्या?
नोट बंदी के बाद पुराने नोट बदलने के लिए कतार में लगे रहे लोगों से अलग-अलग आईडी और फार्म की फार्मेल्टी जिस तरह से कराई जा रही है उससे लोग अब बैंक वालों से यह सवाल करने लगे हैं कि भईया हमारा नोट बदल रहे हो या हमें कागजात लेकर कर्ज दे रहे हो?
टपासियों का नदी-नालों में डेरा
नोट बंद होने के बाद दूसरे प्रदेशों और जिलों में बोरा-बोरा नोट नदी में बहाने और कहीं-कहीं पर जलाने की घटना आम होने सेे जिले के टपासियानुमा और मुफ्तखोरों की बांछे खिल उठी। इन्हें इस बात कर इंतजार है कि देर-सवेर इस जिले में भी कोई बेइंतहां धनप्रेमी अपनी काली कमाई किसी नदी-नाला में बहाये तो वे उसे अपने कब्जे में कर लें। शुरूआती दौर में ऐसे लोगों ने अपने मुखबिर भी लगाये पर कुछ हाथ नहीं लगा। ऐसे टपासियों में अब भी 30 दिसंबर तक उम्मीद कायम है और प्रमुख नदी-नालों में डेरा जमाए बैठे हैं।
स्याही के फंडे से उड़े होश
देश के पीएम के रातों-रात लिये निर्णय ने कई निठल्ले और बेरोजगार बैठे लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से दिहाड़ी पर रोजगार दिलाया और चतुर सुजान लोगों ने अपने घर में जमा रूपये बेफिक्र होकर चिल्लहर बटोरने का काम ऐसे लोगों के जरिये बखूबी किया। बिल्ली के भाग्य से झींका टूटने सी हालत बेरोजगारों की थी, पर शायद किस्मत को यह रास न आया और लंबी कतारों को देख मोदी जी ने एक्सचेंज वालों की उंगली पर स्याही के निशान का फंडा छोड़ दिया। इस फंडे ने मौका परस्तों के होश तो उड़ाये पर उन्हें राहत जरूर मिली जो लंबी कतारें देख मायूस होकर बैंक से लौट आया करते थे।
और अंत में
जिले में इन दिनों पुलिस महकमा काफी फीलगुड के आलम में है। आईजी का वार्षिक निरीक्षण ठीक-ठाक निपट गया और जाते-जाते वनांचल के थाने में शाबासी भी दे गये। अंडरप्रेशर में रहने वाले थाना व चौकी प्रभारियों व स्टाफ के मन में व्याप्त भय भी निकल चुका है। अब बच्चों के बीच पुलिस के अधिकारी व जवान समय व्यतीत कर उन्हें संगवारी के समान दोस्ताना व्यवहार कर अच्छे और बुरे का फर्क बताने में व्यस्त हंै। खाकी के बदलते रवैय्ये से समाज के लोगों में भी बेहतर फील हो रहा है।
अफवाह यह भी
अब यह अफवाह कौन फैला रहा है कि पुराने 100 और नये 2000 के नोट के बदले 20 से 25 प्रतिशत कमीशन मिल रहा है।
एक सवाल आप से
टीपी नगर के एक राष्ट्रीयकृत बैंक में गया चेम्बर का वह कौन पदाधिकारी है जो सीनियर सिटीजन बनकर रूपये बदलवा रहा था, लेकिन साथ ले गये आईडी में दर्ज उम्र देखकर उल्टे पांव लौट पड़ा। ❓
MadhyaBharat
22 November 2016
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