छतीसगढ़ में राजस्व रिकॉर्ड और जमीन के ऑनलाइन दस्तावेज भी जल्द मान्य होंगे। राजस्व विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें बिना तहसील के चक्कर काटे ऑनलाइन मिले राजस्व रिकॉर्ड को मान्य किया जाएगा। राजस्व विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि अब तक ऑनलाइन रिकॉर्ड निकालने के बाद तहसील में सील लगवाना और अधिकारी का दस्तखत कराना पड़ता था। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद भी सील लगवाने के लिए आम आदमी को तहसील में भटकना पड़ता था। इसे समाप्त करने के लिए अब ऑनलाइन दस्तावेज में सील पहले से ही लगी रहेगी। सभी दस्तावेज सर्टिफाइड होंगे, जिसके बाद अधिकारी के दस्तखत और सील की जरूरत नहीं होगी।
राजस्व विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने तय किया है कि मार्च 2017 तक जमीन से जुड़े सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध हो जाए। वर्तमान में नागरिकों को सरकारी कार्यालयों में आना पड़ता है। बताया जा रहा है कि शहरी क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में खसरे के अनुरूप जमीन के नक्शों में सुधार के लिए तीन महीने का समयबद्ध विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। भू-अभिलेख तैयार करने के बाद गांव के नक्शे में जितने भू-खण्ड निर्धारित किए जाते हैं, उतनी ही संख्या में खसरा नम्बर तय किए जाते हैं। वर्तमान में राज्य के सभी 27 जिलों के भू-अभिलेखों का शत-प्रतिशत कम्प्यूटरीकरण कर लिया गया है। नामांतरण, बंटवारा आदि के मामलों में यह देखा गया है कि जब भी रिकार्ड दुरुस्त किया जाता है तो खसरे में तो भू-खण्ड का विभाजन कर लिया जाता है, लेकिन नक्शे में नहीं किया जाता। इससे राजस्व रिकॉर्ड में काफी अंतर आ जाता है। वर्तमान में प्रदेश के राजस्व अभिलेखों जैसे खसरा पंचसाला तथा नक्शे का शत-प्रतिशत कम्प्यूटरीकरण कर लिया गया है।
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कम्प्यूटर के माध्यम से यह पता चल जाता है कि किसी भी गांव, तहसील या जिले में खसरा पंचसाला में कितने भू-खण्ड और जमीन के नक्शे में कितने भू-खण्ड हैं। भुंइया सॉफ्टवेयर में भी यह जानकारी देखी जा सकती है। बताया जा रहा है कि दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बेमेतरा, बालोद और महासमुन्द जिले को छोड़कर शेष 22 जिलों में खसरा पंचसाला में भू-खण्डों की संख्या और भू-नक्शे में भूखण्डों की संख्या में काफी अंतर है। इसे सुधारने का काम किया जा रहा है।