छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर समुदाय को जल्द ही सरकारी पेंशन मिलेगी। इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य शासन को हाल ही में भेजा गया है। मुख्यमंत्री के अमेरिका से लौटने के बाद इस पर निर्णय हो सकता है। राज्य सरकार ने थर्ड जेंडर समुदाय को अधिकार और सम्मान दिलाने कई योजनाएं शुरू की हैं।
थर्ड जेंडर समाज में हर जगह हैं, लेकिन भारतीय सामाजिक व्यवस्था में सम्मान न मिलने की वजह से अपनी पहचान छुपाए रहते हैं और घुट-घुटकर जीते हैं। सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के दखल के बाद राज्य में अब मंत्रालय स्तर पर एक थर्ड जेंडर का नोडल अफसर नियुक्त करने की तैयारी की जा रही है।
समाज कल्याण विभाग के अफसरों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक थर्ड जेंडर समुदाय के करीब 3 हजार लोगों की पहचान की गई है। इनमें पढ़े लिखे वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक से लेकर व्यवसायी और सड़क पर भीख मांगने वाले तक शामिल हैं। इनके कल्याण के लिए सरकार ने बोर्ड गठित किया है, जिसमें थर्ड जेंडर समुदाय के भी दो सदस्य रखे गए हैं। बोर्ड में समाज कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, वित्त विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग सहित विभिन्न विभागों के सचिव शामिल हैं। थर्ड जेंडर को ब्यूटी पार्लर, कैटरिंग आदि व्यवसाय से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
थर्ड जेंडर को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है, यहां तक कि मां-बाप भी स्वीकार नहीं कर पाते। इसलिए सरकार की कोशिश है कि थर्ड जेंडर का लिंग उनकी इच्छा के मुताबिक परिवर्तित करा दिया जाए। इसके लिए मेडिकल बोर्ड भी बनाया गया है, लेकिन ज्यादा लोग सामने नहीं आ रहे। अफसरों ने बताया कि अब तक 10-12 लोगों का ही लिंग परिवर्तित कराया जा सका है। जो लिंग परिवर्तित कराने आते हैं, उनमें ज्यादातर लोग महिला बनना चाहते हैं।
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि सरकारी दस्तावेजों में जहां महिला और पुरुष का कॉलम होगा वहां अब थर्ड जेंडर का तीसरा कॉलम भी होगा। समाज कल्याण विभाग की मंत्री रमशीला साहू ने हाल ही में अफसरों की बैठक में थर्ड जेंडर के कल्याण के लिए प्रशिक्षण, सम्मेलन आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। सरकारी दफ्तरों में थर्ड जेंडर को सम्मान देने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।