कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने बिलासपुर हाईकोर्ट में बुधवार को जनहित याचिका दायर कर संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी। डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पहले से दायर राकेश चौबे की याचिका के साथ अकबर की याचिका भी मर्ज करने का आदेश दिया है। दरअसल अकबर ने याचिका में राज्य शासन के 11 संसदीय सचिवों की ताजपोशी को असंवैधानिक और लाभ का पद बता रद्द करने की मांग की है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि क्यों न संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दी जाए। डिवीजन बेंच ने राज्य शासन के साथ ही सभी 11 संसदीय सचिवों को भी नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सत्ताधारी दल द्वारा 11 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को गलत ठहराया है। संसदीय सचिव नियुक्त करने के साथ ही राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है व एक-एक कैबिनेट मंत्री के सहयोगी के रूप में विभाग देखने की जिम्मेदारी भी दे दी है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सत्ताधारी दल जो कि राज्य की सत्ता पर काबिज है अपने विधायकों को उपकृत करने के उद्देश्य से नियम विरुद्घ संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति दे दी है। ऐसा कर राज्य सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों का खुले तौर पर उल्लंघन किया है।