बस्तर के नक्सल इलाकों में नाइट लैंडिंग हेलिपैड बनाए जा रहे हैं। अंदरूनी इलाकों में करीब आधा दर्जन हेलिपैड को अपग्रेड कर वहां रात में हेलिकॉप्टर उतारने की तैयारी की जा रही है। हाल ही में वायुसेना के अफसरों ने बस्तर के कई हेलिपैड का निरीक्षण कर वहां नाइट लैेंडिंग की अनुमति दी है।
नए हेलिपैड ऐसे इलाकों में हैं, जहां नक्सली हमला कर सकते हैं इसलिए यह काम बेहद गोपनीय ढंग से किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग और पुलिस हाउसिंग बोर्ड इस काम में लगे हुए हैं। टेंडर जारी हो चुके हैं और जल्द ही काम शुरू होने की संभावना है।
नक्सल प्रभावित बस्तर में जगदलपुर, सुकमा, बीजापुर और कांकेर के जंगल वारफेयर स्कूल में नाइट लैंडिंग की सुविधा है। दंतेवाड़ा में आपात स्थितियों में पहले अस्थाई व्यवस्था कर नाइट लैंडिंग कराई जा चुकी है। कोंडागांव के मर्दापाल इलाके में कुछ महीने पहले नक्सल विस्फोट में घायल जवानों को कोंडागांव से एयर लिफ्ट करने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में अस्थाई हेलिपैड बनाया गया।
वहां बिजली विभाग ने बड़ी-बड़ी हैलोजन लाइट लगाकर रात आठ बजे वायुसेना के एमआई 17 हेलिकॉप्टर की नाइट लैंडिंग कराई थी। नारायणपुर में भी नाइट लैंडिंग की अस्थाई व्यवस्था है। इन तीनों हेलिपैड को अपग्रेड किया जा रहा है। इसके अलावा नक्सलगढ़ के हेलिपैड अब नाइट लैंडिंग के लिए तैयार किए जा रहे हैं।
बीजापुर जिले के दुर्गम नक्सल इलाके बासागुड़ा, कोंडागांव के मर्दापाल, सुकमा जिले के चिंतागुफा, चिंतलनार व भेज्जी, कांकेर के अंतागढ़ सहित आधा दर्जन ऐसे हेलिपैड हैं जहां दिन में वायुसेना के हेलिकॉप्टर उतरते हैं पर रात में कोई वारदात होने पर घायल जवानों को सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में कई बार घायल जवानों को जान भी गंवानी पड़ी है। वायुसेना के सीनियर पायलेट्स ने कुछ दिनों पहले बस्तर के अंदरूनी इलाकों में स्थित हेलिपैड का निरीक्षण कर वहां नाइट लैंडिंग की सुविधा जुटाने की जरूरत बताई है।
स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने बताया बस्तर के नक्सल इलाकों में कुछ हेलिपैड को अपग्रेड कर नाइट लैंडिंग के लायक बनाया जा रहा है। सुरक्षा कारणों से यह नहीं बता सकता कि किन हेलिपैड को अपग्रेड किया जाएगा।
पुलिस विभाग के आला अफसरों ने बताया कि कम से कम 100 बाई 100 का हेलिपैड चाहिए जो एकदम समतल हो और आसपास कोई व्यवधान न हो। हेलिपैड में प्रकाश की भरपूर व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि हवा से नीचे देखना उतना आसान नहीं होता। हेलिपैड में पेड़, खंभे आदि नहीं होने चाहिए। वायर ऊपर से बिलकुल नहीं दिखता इसलिए आसपास कोई भी वायर या बिजली का तार आदि नहीं होना चाहिए।