जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कई अभियान चलाने के बाद भी प्रदेश के 25 जिलों में प्रजनर दर 3 से ज्यादा है। यानी, एक दपंती औसतन 3 से ज्यादा बच्चे पैदा कर रहा है। लिहाजा अब इन जिलों में बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार ने मिलकर विशेष रणनीति बनाई है। परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए पुरुष नसंबदी पर प्रोत्साहन राशि 2 हजार रुपए से बढ़ाकर 3 हजार रुपए दी जाएगी।
प्रसव के तुरंत बाद महिला नसबंदी कराने पर अभी 2200 रुपए मिलते हैं, इसे बढ़ाकर 3000 रुपए किया जा रहा है। इसी तरह से प्रसव के सात दिन के बाद महिला नसबंदी कराने पर पहले 1400 रुपए मिलते थे अब 2000 रुपए मिलेंगे। निजी संस्थाओं में पुरुष नसबंदी पर 2500, महिला नसबंदी पर 2500 और प्रसव के तुरंत बाद महिला नसबंदी पर 3000 रुपए मिलेंगें। इसके अलावा प्रेरक, सर्जन आदि की प्रोत्साहन राशि भी बढ़ाई गई है।
नसबंदी ऑपरेशन में सास अड़ंगा न लगा सकें, इसलिए स्वास्थ्य विभाग सास-बहू सम्मेलन कराएगा। इसमें महिला की सास को बुलाकर काउंसलिंग की जाएगी। प्रचार के लिए सारथी रथ पूरे प्रदेश में चलेगा।
पन्ना, शिवपुरी, बड़वानी, विदिशा, छतरपुर, सतना, दमोह, सीहोर, डिंडौरी, गुना, रायसेन, रीवा, सीधी, उमरिया, सागर कटनी, शाजापुर, टीकमगढ़, नरसिंहपुर, राजगढ़, रतलाम, खरगौन, खंडवा, मुरैना और शिवनी।
स्वास्थ्य विभाग ने इस साल पूरे प्रदेश में साढ़े 5 लाख नसबंदी का लक्ष्य रखा है, लेकिन अप्रैल से अभी तक सिर्फ डेढ़ लाख नसबंदी हो पाई हैं। पिछले साल इस अविधि में 10 ऑपरेशन ज्यादा हो गए थे।
3 से अधिक सकल प्रजनन दर वाले 25 जिलों को हाई फोकस घोषित किया गया है। यहां आबादी रोकने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। डॉ. बीएस ओहरी, संचालक परिवार कल्याण