अब कमलनाथ मध्यप्रदेश में
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ अगले माह से प्रदेश का दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय शुरु किया जा रहा है जबकि प्रदेश कांग्रेस को एक अच्छे प्रभावी नेता का जरूरत है। अपने बयानों के चलते पार्टी के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश में अप्रभावी हो चुके हैं तो वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गृह क्षेत्र से बाहर निकलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली की राजनीति में फिलहाल कोई महत्तवपूर्ण भूमिका नहीं मिलने के चलते तीन साल बाद प्रदेश में होने वाले आम चुनाव में अपनी महत्तवपूर्ण भूमिका पाने के प्रयासों के तहत यह कवायद की तैयारी है।सूत्रों की माने तो इस दौरे की तैयारी काफी पहले कर ली गई थी, लेकिन था तो सिर्फ समय का इंतजार। कुछ समय पहले रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में पार्टी को मिली जीत के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होने के बाद कमलनाथ ने पार्टी हाईकमान के मूड़ का आकलन करने में ज्यादा समय लगा दिया है।हाल में उन्होंने मैहर उपचुनाव में प्रचार किया तथा पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं की बैठकें लेकर माहौल को भांपने की कोशिश की। इसके बाद नाथ ने अपने समर्थकों को संकेत दिया है कि वे मार्च की शुरुआत के दौरान उनके दौरे के लिए तैयार रहें। नाथ के एक करीबी नेता के मुताबिक वे अपने परंपरागत महाकौशल अंचल के अलावा मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड व नर्मदांचल का दौरा करेंगे। यह दौरा किसी यात्रा या अभियान की शक्ल में नहीं होगा। इसके दौरों की भूमिका तैयार करने का काम मप्र कांग्रेस के एक पूर्व पदाधिकारी के पास है। इस सिलसिले में हाल में उन्होंने दो बार दिल्ली में कमलनाथ से मुलाकात भी की है।प्रदेश से बना रखी थी दूरीकमलनाथ की राजनीतिक शैली से उनके समर्थक काफी समय से निराश हैं और तितर-बितर हो चुके हैं। यदि 2013 के विधानसभा चुनाव का समय छोड़ दिया जाए तो बीते सात साल में कमलनाथ ने अपने लोकसभा क्षेत्र के बाहर सात दौरे भी नहीं किए हैं। उनकी गतिविधियां दिल्ली या छिंदवाड़ा तक सीमित रही हैं। चूंकि अब वे केंद्र में मंत्री भी नहीं रहे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी नहीं मिला, लिहाजा वे राजनीतिक भूमिका हासिल करने की जद्दोजहद में हैं।दरअसल कांग्रेस आलाकमान पिछले छह महीने से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की नई टीम तैयार करने की प्रक्रिया में है। यह कार्यकारिणी आगामी चुनावों तक की रणनीति के तहत काम करेगी। राहुल गांधी इस टीम को ‘डिजाइन’ कर रहे हैं। इसमें कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी महासचिव पद की आस में हैं। चूंकि मप्र से दिग्विजय सिंह कांग्रेस की कार्यकारिणी में महासचिव पर हैं तथा उन्हें बदलने की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है, इसलिए कार्यकारिणी में इसके समकक्ष किसी भूमिका की गुंजाइश फिलहाल कम है। यही वजह है कि नाथ मप्र में सक्रिय होना चाहते हैं। वे यहां कांग्रेस का ‘कर्ताधर्ता’ बनना चाहते हैं, क्योंकि उनकी नजर 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है।नए अंदाज में दिखे कमलनाथजानकारी के मुताबिक मैहर के चुनावी दौरे में कमलनाथ की शैली में उनकी भावी मंशाओं की झलक मिल रही थी। उन्होंने यहां कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने की हिदायतें दीं और अलग-अलग काम करने को लेकर कड़ी फटकार भी लगाई। उनकी बड़े भैय्या वाली शैली कांग्रेस नेताओं के लिए काफी चौंकाने वाली थी।