बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने स्वीकार किया कि बोर्ड का मौजूदा संकट क्रिकेटरों के सर्वश्रेष्ठ हित में नहीं है लेकिन संस्था को तीन जनवरी को उच्चतम न्यायालय के आने वाले फैसले तक इंतजार करना होगा।
ठाकुर आगामी प्रो कुश्ती लीग के लिये आयोजित एक प्रोमोशनल कार्यक्रम के मौके पर पत्रकारों से कहा, ‘हम जानते हैं कि मौजूदा हालात क्रिकेटरों के सर्वश्रेष्ठ हित में नहीं हैं लेकिन यह मामला अभी अदालत में है। हम परेशानी में हैं और हमें तीन जनवरी तक का इंतजार करने की जरूरत है।’ वह उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढा समिति की बीसीसीआई में प्रशासनिक सुधारों की सिफारिशों का जिक्र कर रहे थे जिन्हें बोर्ड अभी तक लागू नहीं कर सका है।
उन्होंने पूर्व क्रिकेटरों की बीसीसीआई प्रशासन की आलोचना करने पर कहा, ‘बीसीसीआई ने सरकार से एक भी पैसा लिये बिना अपना खुद का ढांचा बनाया है। फिर भी कुछ पूर्व क्रिकेटर (सारे पूर्व क्रिकेटर नहीं) हमारे खिलाफ बोलते हैं।’
यह पूछने पर कि बीसीसीआई एक लाख गांव पंचायत के लिये एक लाख कोच क्यों नहीं रख सकता तो उन्होंने हंसी उड़ाते हुए कहा, ‘हमारे पास काफी धन है लेकिन हम इसे खर्च नहीं कर पा रहे हैं। हमें इसके लिये अनुमति की जरूरत है।’ वह उच्चतम न्यायालय के निर्देश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उसने बोर्ड के फंड के लेनदेन पर रोक लगायी हुई है।
ठाकुर ने कार्यकारी ग्रुप में भारत को शामिल नहीं करने पर आईसीसी का भी मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘मैं बैठक में था और प्रत्येक सदस्य को लगता था कि मजबूत विश्व क्रिकेट के लिये बीसीसीआई की जरूरत है।अगर कोई सोचता है कि वे बीसीसीआई के बिना काम कर सकते हैं तो उन्हें जानना चाहिए कि विश्व क्रिकेट को बीसीसीआई की जरूरत है।’
उन्होंने भारतीय कप्तान विराट कोहली की आईसीसी की वर्ष की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट टीम में अनदेखी किये जाने पर कहा, ‘आईसीसी को इस मामले को देखना चाहिए क्योंकि भारत नंबर एक टेस्ट टीम है। लेकिन मैं खुश हूं कि अश्विन को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट क्रिकेटर चुना गया।’