मध्यप्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुंदर लाल पटवा का हार्ट अटैक के बाद एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। जानकारी के मुताबिक सोते वक्त उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था। अंतिम संस्कार नीमच जिले में उनके पैतृक गांव कुकडेश्वर में 29 दिसंबर को दोपहर 2 बजे होगा। उनकी पार्थिव देह भोपाल स्थित भाजपा कार्यालय में अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई । पटवा का 11 नवंबर 1924 को जन्म हुआ था।
सुंदर लाल पटवा जनता पार्टी की सरकार के दौरान 1980 और भाजपा की सरकार में 1990 में दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वे 1997 में छिंदवाड़ा में हुए लोकसभा उपचुनाव में पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1998 में होशंगाबाद से सांसद चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बने। सुंदर लाल पटवा के निधन की खबर मिलने के बाद भाजपा में शोक की लहर छा गई है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि सुंदर लाल पटवा जी का निधन प्रदेश के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने अपना पूरा जीवन जनहित और विकास कार्यों को समर्पित कर दिया था। मप्र के विकास के लिए आजीवन प्रयासरत रहने वाले पटवा जी आप स्वच्छ राजनीति के पर्याय हैं, आपको भुलाया नहीं जा सकेगा।
सीएम शिवराजसिंह चौहान ने पटवाजी के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। सीएम ने कहा कि आज होने वाला हितग्राही सम्मेलन यथावत रहेगा। कार्यक्रम को बेहद सादगी से मानाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह ने भी जताया शोक
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। डॉ सिंह ने कहा कि पटवा जी ने अपने सुदीर्घ सार्वजनिक जीवन में विभिन्न पदों पर रहते हुए जनता को मूल्यवान सेवाएं दी। अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने आम जनता के जीवन में बदलाव लाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ की जनता को भी मिला।
उन्होंने कहा कि पटवा जी के निधन से भारतीय लोकतंत्र के एक सुनहरे अध्याय का अंत हो गया। उनका निधन हम सभी के लिए अपूर्णीय क्षति है। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने सुंदर लाल पटवा के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। धरमलाल कौशिक ने कहा कि हमने एक युगदृष्टा, कर्मशील और कुशल संगठक खो दिया है।
दो बार रहे मध्यप्रदेश के सीएम
पटवा 1957-67, 1977–97 और 1998 : मध्यप्रदेश विधानसभा में तीन बार विधायक रहे
1957-67 : विधानसभा में विपक्षी दल के चीफ व्हीप
1975 : जनसंघ के महासचिव, मध्यप्रदेश से
1977 : जनता पार्टी के कार्यसमिति सदस्य
1980 जनवरी से फरवरी 1980 में पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने
1980-85 : विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष
1990 मार्च से 1992 दिसंबर तक दूसरी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने
1986 : मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष
1997 : 11वीं लोकसभा में सांसद बने
1999 : 13वीं लोकसभा में दूसरी बार सांसद बने
13 अक्टूबर 1999 से 30 सितंबर 2000 तक केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे
30 सितंबर 2000 से 7 नवंबर 2000 तक केंद्रीय रसायक और उर्वरक मंत्री रहे
7 नवंबर 2000 से 1 सितंबर 2001 तक केंद्रीय खनन मंत्री रहे