19 साल बाद कॉलेजों में होंगे सीधे चुनाव
19 साल बाद  कॉलेजों में होंगे सीधे चुनाव
दीपक जोशी इसके लिए थे प्रयासरत विद्यार्थी राजनीती से राजनीती में आये स्कूल एवं उच्चशिक्षा राजयमंत्री दीपक जोशी के प्रयास से 19 साल बाद प्रदेश सरकार एक बार फिर प्रत्यक्ष प्रणाली से कालेजों में छात्रसंघ चुनाव करवाएगी। अगले साल से शुरू होने वाले ये चुनाव पहली बार प्रयोग के तौर पर कुछ कालेजों में कराए जाएंगे। यह प्रयोग सफल रहा तो 2018 से प्रदेश के सभी कालेजों में सीधे निर्वाचन की पद्धति वाली इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है इसे इसी सत्र के दौरान सरकार को भेजा जाएगा। गौरतलब है कि पहले कालेजों में छात्रसंघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते थे। इसमें छात्र सीधे अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करते थे पर कालेजों में इन चुनावों के दौरान होने वाली अराजकता के चलते सरकार ने 1987 में सीधे चुनावों पर रोक लगाते हुए मेरिट के आधार पर छात्रसंघ पदाधिकारी तय करना शुरू कर दिए थे बाद में इसमें संशोधन तो किया गया पर केवल कक्षा प्रतिनिधियों के चुनाव ही प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने की व्यवस्था की और अध्यक्ष समेत अन्य प्रतिनिधियों का चुनाव सीआर करते हैं। छात्र संगठनों की मांग के चलते सरकार अब फिर इसमें संशोधन करने जा रही है।उच्च शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने बताया कि छात्र संघ चुनावों को लेकर कुछ नियम तैयार किए गए है। इस बारे में सीएम से भी चर्चा हो चुकी है। उन्होंने बताया कि अगले साल से प्रदेश के कुछ कालेजों में छात्रसंघ चुनाव सीधे निर्वाचन की पद्धति से होंगे। यह प्रयोग सफल रहा तो उसके बाद सभी कालेजों में सीधे इलेक्शन करवाए जाएंगे। इसके नियम और संचालन के लिए एक ड्राफ्ट भी लगभग तैयार कर लिया गया है। जोशी ने बतया कि छात्रसंघ चुनावों को लेकर अधिकांश कालेजों के प्राचार्य, डीन स्टूडेंट वेलफेयर, एनएसयूआई और एबीवीपी समेत अन्य छात्रसंघों के नेताओं से चर्चा कर उनके सुझाव भी लिए गए हैं।छात्रसंघ चुनाव को लेकर कई कॉलेज के प्राचार्यों ने असहमति जताते हुए कहा है कि इससे कॉलेजों के एकेडमिक और शैक्षणिक माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।केवल 25 साल की उम्र तक ही छात्र संघ चुनाव लड़ने की पात्रता होगी।छात्रसंघ चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम पचास प्रतिशत अंक अनिवार्य होंगे।खेल और कल्चरल गतिविधियों में जुड़े छात्रों को न्यूनतम अंक के बंधन से मुक्त रखा जाएगा।ऐसा कोई छात्र चुनाव नहीं लड़ सकेगा जिस पर आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध हो, राजनीतिक धरना, प्रदर्शनों में दर्ज प्रकरणों को इससे मुक्त रखा जाएगा।सरकार ने कालेजों में छात्रसंघ अध्यक्षों का चुनाव सीधे निर्वाचन की पद्धति से कराने का फैसला तो ले किया है पर यूनिवर्सिटी अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के चुनाव के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है। इस बारे में फैसला प्रयोग के तौर पर होने वाले छात्रसंघ चुनावों के रिजल्ट देखकर लिया जाएगा।