नोटबंदी के चलते छत्तीसगढ़ और झारखंड में माआेवादियों समेत सभी नक्सलियों की कमर ही टूट गई है और खुफिया सूचनाओं के अनुसार उनके कम से कम अस्सी करोड़ रूपये तक केन्द्र सरकार के इस निर्णय के चलते बर्बाद हो गए हैं और वे बौखलाए हुए हैं। झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके मलिक ने एक विशेष साक्षात्कार में यहां बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले वर्ष आठ नवंबर को पांच सौ और एक हजार रूपये के पुराने नोटों का चलन बन्द करने के फैसले का राज्य में चल रहे नक्सलवाद के खात्मे पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ा है और खुफिया सूचनाओं के अनुसार उनकी कम से कम अस्सी करोड़ रूपए की नकदी बर्बाद हो गयी है।
मल्लिक ने बताया कि लगभग पूरा का पूरा अर्थतंत्र बर्बाद हो जाने से नक्सलियों की कमर टूट गयी है और बौखलाहट में वह कथित विचारधारा की लड़ाई छोड़कर नकदी लूटने की फिराक में हैं लेकिन सरकार ने उनकी किसी भी साजिश को नाकाम करने के लिए पुख्ता तैयारी कर रखी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि एक खुफिया अध्ययन के अनुसार तीन वर्ष पूर्व नक्सलियों की राज्य में लेवी की पूरी कमाई लगभग 140 करोड़ रूपये थी जो पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों की कार्रवाई और विकास कार्यों के चलते घटकर लगभग सौ करोड़ रूपये तक रह गयी है।
उन्होंने बताया कि खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री के आठ नवंबर के फैसले के चलते एक वर्ष के खर्चे के लिए रखी गई माआेवादियों एवं अन्य नक्सली संगठनों की लगभग सौ करोड़ रूपए की नकदी खराब हो गई। सूचनाओं के अनुसार बाद में अपने सदस्यों एवं सहयोगियों की मदद से एवं गरीब, किसानों तथा ग्रामीणों को डरा धमकाकर माआेवादी एवं अन्य नक्सली लगभग बीस करोड़ रूपए तक के ही पुराने नोट नए नोटों से किसी तरह बदलवा पाए।