इस बार नहीं बढ़ेगा रेल किराया
samajvadi parti

इस साल पेश होने वाले आम बजट में रेल किराया बढ़ने की कोई संभावना नहीं है।

इसे लेकर रेलवे और वित्त मंत्रालय के बीच लगभग आम राय बन चुकी है। यह अलग बात है कि दोनो ही किराया बढ़ाने के पक्ष में हैं। परंतु मौजूदा राजनीतिक हालात के मद्देनजर फिलहाल इस जोखिम को टालना ही बेहतर समझा गया है। इस पर कोई फैसला अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद ही होगा।

रेल मंत्रालय से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चूंकि इस बार अलग से रेल बजट पेश नहीं होगा। लिहाजा किराये-भाड़ेमें बढ़ोतरी का फैसला वित्त मंत्रालय को ही करना था। चूंकि वित्तमंत्री अरुण जेटली पिछले दिनों रेल किरायों में बढ़ोतरी की जरूरत बता चुके हैं। इसलिए यह माना जा रहा था कि शायद वे बजट में इसका एलान करें। लेकिन अब इसकी कोई संभावना नजर नहीं रही।

खुद रेल मंत्रालय के अफसर इसकी ताकीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि रेलवे की माली हालत को देखते हुए किराये बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है। लेकिन मौजूदा हालात में वित्त मंत्रालय भी यह जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। इसलिए इस पर अब कुछ महीनो बाद ही निर्णय होगा।

वैसे अफसरों को भरोसा है कि खराब हालत के बावजूद वे बजट में रेलवे की बेहतर छवि पेश कर पाने में कामयाब रहेंगे। क्योंकि जहां कोयला, सीमेंट, लोहा आदि की ढुलाई और कमाई घटी है और डी़जल के दाम बढ़े हैं, वहीं बिजली खर्च के अलावा कुछ अन्य मदों में 400-500 करोड़ रुपये की बचत भी हुई है। इससे रेलवे 94 फीसद का आपरेटिंग रेशियो (100 रुपये की आमदनी में 94 रुपये का खर्च। यानी 7 रुपये की बचत) प्राप्त करने में कामयाब रहेगी।

पिछले रेल बजट में आपरेटिंग रेशियो 92 फीसद था। मौजूदा हालात को देखते हुए यह बहुत बुरी स्थिति नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि जरूरी मदों में कोई कटौती नहीं होगी। खासकर संरक्षा में, जिसके लिए वित्त मंत्रालय ने 20 हजार की मांग के मुकाबले कम से कम 10 हजार रुपये के आवंटन का भरोसा दिया है।

जहां तक आम बजट के जरिए पेश होने वाले रेलवे के लेखे-जोखे का प्रश्न है तो इसमें न तो रेलमंत्री का भाषण होगा और न ही लंबी-चौड़ी योजनाओं का कशीदा। बाकी मंत्रालयों की तरह वित्तमंत्री रेलवे के आय-व्यय और योजनाओं का ब्यौरा भी एक-दो पन्नों में समेट देंगे। बाकी दस्तावेज रेल मंत्रालय अलग से उसी तरह पेश करेगा जैसे हर साल (वेबसाइट पर) करता है।

बस इस बार व्याख्यात्मक ज्ञापन नहीं होगा। जिसकी जिम्मेदारी अब अलग-अलग जोनों को सौंप दी गई है। इस तरह कुछ एक बातों को छोड़ रेलवे अपनी तमाम तैयारियां पहले की तरह कर रहा है। जबकि वित्त मंत्री को केवल इसके संक्षिप्त आलेख (समरी) तथा कुछ जरूरी दस्तावेजों की ही जरूरत होगी।