नोटबंदी का खौफ : भाजपा ने बदली चुनावी रणनीति
  नोटबंदी का खौफ

नोटबंदी को लेकर भारतीय जनता पार्टी अब महसूस करने लगी है कि विधानसभा चुनावों से पहले सरकार की तरफ से एक ऐसा कदम उठा लिया गया, जिसका चुनावों में उलटा असर हो सकता है। मामले को ध्यान में रखते हुए पार्टी अब 5 राज्यों में हो रहे चुनावों के तहत अपनी प्रचार रणनीति को बदलने पर विचार कर रही है। भाजपा सूत्रों की जानकारी अनुसार पार्टी यू.पी. चुनावों को लेकर सबसे ज्यादा गंभीर है। लोकसभा चुनावों में पार्टी ने यू.पी. में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा तथा पार्टी को भारी सफलता मिली, लेकिन अब पार्टी को लगता है कि अकेले मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना इतना आसान नहीं रहेगा, क्योंकि जैसे ही मोदी का नाम सामने आता है तो साथ ही नोटबंदी का जिक्र भी शुरू हो जाता है।

सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने नई रणनीति बनाई है, जिसके तहत पार्टी अब राष्ट्रीय मसलों को छोड़कर स्थानीय मसलों को अहमियत देगी। खासकर यू.पी. में पार्टी की तरफ से मौजूदा समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ मसले को लोगों के बीच ले जाकर प्रचार करने का तरीका अपनाया है। इसके तहत उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी, महिला शोषण, बेरोजगारी, किडनैपिंग तथा लूटपाट जैसे मसलों को लेकर पार्टी अभियान शुरू करने जा रही है, जिसके तहत चुनाव लड़ा जाएगा। इसके साथ ही पार्टी कुछ हिन्दी के स्लोगन तैयार करवा रही है, जिन्हें यू.पी. में प्रयोग किया जाएगा। ‘‘कब तक पलायन को मजबूर रहेंगे, अब और नहीं सहेंगे’’ जैसे कई स्लोगन पार्टी ने तैयार करवाए हैं, जिन्हें लेकर जल्द ही पार्टी के आला नेता मैदान में उतरने जा रहे हैं। पार्टी ने कुछ ऐसे पोस्टर भी तैयार करवाए हैं, जिनमें यू.पी. के गरीब लोगों को सर्दी में ठिठुरने जैसी तस्वीर पेश कर मौजूदा राज्य सरकार को विफल करार देने की कोशिश की जा रही है।