रायगढ़ में अब स्वास्थ्य विभाग बाबा और गुनिया का इस्तेमाल इलाज में करेगा । खासकर मानसिक रोगियों के लिए विभाग बाबाओं को ट्रेनिंग देगी कि उन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है। दरअसल मानसिक संतुलन बिगड़ने पर ज्यादातर ग्रामीणों बाबाओं के पास पहले जाते हैं।
ऐसे में स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि ऐसे में बाबाओं द्वारा मानसिक रोगियों की न केवल पहचान कर पाएंगे बल्कि उन्हें उचित इलाज भी मुहैया कर सकेंगे। पर सवाल यह है कि बिना पढ़े लिखे बैगा और गुनिया विभाग की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाएंगे। इधर पुलिस लोगों में अंधविश्वास भगाने बाबाओं से दूर रहने की सलाह दे रही है तो विभाग को कैसे सफलता मिलेगी।
इन दिनों मेंटल हेल्थ केयर की टीम जिले के बैगा, गुनिया व ओझा बाबाओं की खोजबीन में जुटी है। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि जब भी कोई व्यक्ति मानसिक तौर पर विकृत होता है तो परिजन सबसे पहले उन्हें ऐसे बाबाओं के पास लेकर जाते हैं। दरअसल ग्रामीण अंचलों में ओझा बाबाओं की मान्यता बहुत ज्यादा होती है। ग्रामीण चिकित्सकों की बजाए बाबाओं पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
गौरतलब है कि शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले दो वर्ष से मानसिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू किया गया है। लेकिन यहां मरीजों की संख्या उम्मीद के मुताबिक कम है। बताया जाता है कि प्रतिदिन यहां सिर्फ इक्के-दुक्के ही पहुंचते हैं। ऐसे में विभाग मानसिक रोगियों की खोजबीन में अनाधिकृत बाबाओं की मदद लेना चाहता है। माना जाता है कि स्वास्थ्य विभाग चिन्हांकित बाबा मरीजों की पहचान करेंगे और आरंभिक उपचार पश्चात उन्हें स्वास्थ्य विभाग के हवाले करेंगे।
स्वास्थ्य विभाग की मुश्किल इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि अब विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जाना है। यह तभी सफल माना जाएगा जब मरीजों की संख्या तय सीमा के करीब होगी। चूंकि अभियान राज्य सरकार के निर्देश पर चलाया जाना है। ऐसे में विभाग को यहां पहुंचे मरीजों के संख्या की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग अब जिले के ओझा बाबाओं पर ज्यादा भरोसा कर रहा है। इसके लिए विभाग उन्हें एक दिवसीय ट्रेनिंग देकर प्रशिक्षित करेगा कि मानसिक रोगियों का किस तरह उपचार किया जाएगा। हालांकि ट्रेनिंग में बाबाओं को यही सिखाया जाएगा कि वह उनकी आरंभिक उपचार कैसे करें। आरंभिक प्रक्रिया के पश्चात उन्हें चिकित्सकों के पास भेजने की बात कही जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह मरीज ढूंढने का अनोखा किस्सा यह पहला नहीं है। इससे पहले नवंबर माह में एक विशेष तरह की ट्रेनिंग में जिले के झोलाछाप चिकित्सकों को शामिल किया गया था। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो ट्रेनिंग में उन्हें यह सलाह दी गई है कि उनके पास यदि कोई टीबी का मरीज पहुंचेगा तो सबसे पहले उन्हें किस तरह उपचार करना है। आरंभिक उपचार के पश्चात उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में भेजने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। हालांकि इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि प्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टरों ने अब तक कितने मरीजों को स्वास्थ्य केंद्रों में भेजे हैं।
वहीँ जिला पुलिस जिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से अंधविश्वास दूर करने रोजाना नये प्रयोग कर रही है। इसके चलते पिछले दिनों महाराष्ट्र के नागपुर शहर से विशेषज्ञों की टीम यहां पहुंची थी। उनके द्वारा शहर के अलावा कापू के ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष कैंपेन चलाया गया। विशेषज्ञों ने इसके जरिये ग्रामीणों के सामने अनेक प्रयोग भी किया। समाज से अंधविश्वास दूर करने के लिए पुलिस ये भी मानती है कि अगर कभी भी कोई तांत्रिक किसी व्यक्ति को परेशान करता है तो वे उसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं।
बताया यह भी जाता है कि मेंटल हेल्थ केयर की टीम को हिंदु समाज के ओझा ढूंढने में परेशानी हो रही है। जबकि मुस्लिम समुदाय के तीस तांत्रिकों को विभाग ने चिन्हांकित कर लिया हैं। इसी तरह सिख और इसाई समाज के तांत्रिक भी अब तलक नहीं मिल पाए हैं।
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. टीके टोण्डर ने बताया जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जाना है, जिसमें मानसिक रोगियों की खोजबीन की जानी है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तांत्रिक,ओझा, गुनिया जैसे बाबाओं की मदद ली जाएगी। दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादातर मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यदि उनके पास कोई मरीज ऐसी हालत में पहुंचता है तो वे स्वास्थ्य केंद्रों में भेजें। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।