केंद्र ने टाइगर बजट भी काटा
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद लगातार राज्य सरकार को मिलने वाली राशि में लगातार कटौती का क्रम जारी है। केंद्र सरकार ने अब टाईगर रिजर्व मद में मिलने वाली राशि में 32 करोड़ की कटौती कर दी है। जिसके चलते वन महकमे में चिंता के हालात बन गए हैं। केंद्र से कम राशि मिलने की वजह से राज्य सरकार ने भी इस मद की राशि कम कर दी है। यह राशि ऐसे समय कम की गई है जबकि राज्य में लगातार टाइगरों की संख्या में वृद्धि हो रही है।आचार संहिता की डोर से बंधे होने की वजह से महकमें के आला अफसर बजट कटौती का खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे है पर उनके चेहरे में चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई देती है। सूत्रों ने बताया कि टाइगर रिजर्व के लिए केंद्र से मिलने वाली राशि में 32 करोड़ रुपए की कटौती की गई है। पिछले वर्ष तक केंद्र से लगभग 70 करोड़ रुपए वन्य प्राणियों के प्रबंधन और संवर्धन के लिए मिले थे। केंद्र की कटौती के साथ-साथ प्रदेश सरकार ने भी बजट देने में कंजूसी बरती है। वित्त मंत्री ने तो वन विभाग के मद से ही 100 करोड़ की कटौती करने का ऐलान सदन में कर चुके है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्रमुख तौर पर छह टाइगर रिजर्व हैं। इनमें पन्ना, बांधवगढ़, पेंच, कान्हा, सतपुड़ा व संजय टाइगर रिजर्व शामिल हैं। प्रदेश सरकार को सभी टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण के नाम पर एनटीसीए भारत सरकार से लगभग 100 करोड़ रुपए दिलवाती रही है। नए साल 2016-17 के लिए केंद्र से पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत बजट में कटौती की है। साथ ही एक शर्त यह भी है कि केंद्र से मिलने वाला बजट तब मिलेगा, जब 60 प्रतिशत राशि प्रदेश सरकार देगा। गौरतलब यह है कि प्रदेश सरकार ने नये वित्तीय वर्ष में पहले ही 100 करोड़ रुपए का बजट कम कर दिया। वित्त विभाग द्वारा बजट में 100 करोड़ की कटौती किए जाने पर वन विभाग के आला अफसरों ने कोई आश्चर्य नहीं व्यक्त किया, क्योंकि अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव और जंगल महकमे के बीच पहले से ही छत्तीस का आकड़ा है। इसके अलावा वन विभाग ने करीब 32 करोड़ रुपए की मांग तो रिजर्व फारेस्ट में रहने वाले वनवासियों के पुनर्वास के लिए थी, लेकिन एनटीसीए ने कटौती करते हुए चार रिजर्व के संरक्षण प्रस्तावों को ही खारिज कर दिया है। इनमें पेंच, पन्ना,संजय व बांधवगढ़ जैसे प्रमुख टाइगर रिजर्व शामिल हैं।75 करोड़ की चपतवायरलैस संचालन की फीस 15 करोड़ बकायापालपुर कूनो का दायरा बढ़ाने के लिए 60 करोड़ की आवश्यकातसूचना तंत्र लगभग ध्वस्तमुखबिरी तंत्र के लिए 10 लाख की आवश्यकतावन्य प्राणियों की तस्करी करने वालों के खिलाफ विस्तृत मुहिम के लिए धन की दरकारइनका कहना हैबजट में कटौती तो हुई पर प्राथमिकता के आधार पर खर्च करेंगे।रवि श्रीवास्तव, मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक