अखिलेश यादव गुट को निर्वाचन आयोग ने समाजवादी पार्टी का \'असली धड़ा माना। नतीजतन, उसे साइकिल चुनाव चिह्न दे दिया है। ये अखिलेश यादव गुट की बहुत बड़ी जीत है। इससे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उसके लिए अपेक्षाकृत अनुकूल स्थिति बनेगी।
दूसरी तरफ मुलायम सिंह गुट के लिए पहचान का संकट खड़ा होगा। दोनों गुटों में मेलमिलाप की कोई गुंजाइश पहले ही लगभग खत्म हो चुकी है। तो सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश पर सीधा हमला किया। कहा कि पार्टी को एक रखने के लिए उन्होंने पूरी कोशिश की, लेकिन अखिलेश ने उनकी एक नहीं सुनी। साथ ही मुलायम ने मुस्लिम कार्ड खेला। आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने उप्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी की अपनी प्रत्याशियों की सूची में एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया है।
उप्र में तकरीबन 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, जिनका बड़ा हिस्सा सपा का समर्थक रहा है। मुलायम सिंह के ताजा बयान का मतलब है कि उन्होंने इस तबके के बीच अखिलेश की हैसियत कमजोर करने की कोशिश की है। दरअसल, मुस्लिम वोट सपा के संभावित विभाजन के बाद बनने वाले दोनों गुटों के लिए बेहद अहम हैं। इसी पर नजर रखते हुए अखिलेश यादव महागठबंधन बनाने की कोशिश में बताए जाते हैं। इसके पीछे गणना संभवत: यह है कि कांग्रेस के साथ रहने से अखिलेश गुट की \'धर्मनिरपेक्ष छवि मजबूत होगी। प्रयास अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल और जनता दल (यू) को भी इस गठबंधन में लाने का है, ताकि उसे भारतीय जनता पार्टी विरोधी मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया जा सके। भाजपा विरोधी दलों के बीच फिलहाल यही होड़ है। साइकिल चुनाव निशान मिलने के बाद अखिलेश गुट और उसके नेतृत्व में बनने वाले गठबंधन का भाजपा विरोधी मुख्य विकल्प होने का दावा मजबूत होगा।