भारत-यूएस बिजनेस मीट मध्यप्रदेश में करने पर बनी सहमति
भारत-यूएस बिजनेस मीट मध्यप्रदेश में करने पर बनी सहमति
मुख्यमंत्री चौहान की बिजनेस काउंसिल के सदस्य निवेशकों से चर्चा एम पी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश भारत के राज्यों में सबसे तेज गति से निवेश क्षेत्र के रूप में सामने आया है। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, फार्मास्युटिकल, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं, पर्यटन, खाद्य प्र-संस्करण, टेक्सटाइल और नवकरणीयऊर्जा क्षेत्रों में निवेश की भरपूर संभावनाएँ हैं। श्री चौहान गत दो अक्टूबर को वाशिंगटन डी सी में यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल और भारतीय उद्योग परिसंघ बिजनेस कान्फे्रंस को संबोधित कर रहे थे।यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल का गठन भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने और वाणिज्यिक मित्रता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से गठित किया गया है।मुख्यमंत्री ने यू एस इंडिया बिजनेस काउंसिल के सदस्यों और वाणिज्यिक प्रतिनिधियों को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 28 से 30 अक्टूबर 2012 को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2012 में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंध मैत्रीपूर्ण हैं। भारत के लिये अमेरिका सबसे बड़ा विदेशी पूँजी निवेश का स्त्रोत है। भारत में कुल विदेशी पूँजी निवेश में छह प्रतिशत योगदान अमेरिका का है।श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में पूँजी निवेश के लिये तैयार वातावरण और अधोसंरचना की चर्चा करते हुए कहा कि सड़क संपर्क, बिजली, पानी और तकनीकी रूप से कौशल सम्पन्न मानव संसाधन और उद्योगों के लिये जरूरी संसाधन मध्यप्रदेश में उपलब्ध हैं।अपने संबोधन में वरिष्ठ निदेशक एवं नीति विश्लेषक और यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल की कार्यकारी उपाध्यक्ष सुश्री डिएन फैरल ने श्री चौहान की पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी पहल से व्यापारिक संभावनाएँ बढ़ेंगी। इस अवसर पर भारत और यूएस बिजनेस मीट मध्यप्रदेश में आयोजित करने पर सहमति बनी। समय और स्थान बाद में तय होंगे। अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम से चर्चाइसके पहले मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवेश सहायता के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की। श्री चौहान ने कहा कि नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन, अधोसंरचना निर्माण के वित्तीय सहयोग, नवकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं शहरी अधोसंरचना निर्माण में सार्वजनिक-निजी सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिये न सिर्फ निवेश में सहयोग बल्कि तकनीकी मार्गदर्शन की भी आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि किसी भी परियोजना में वित्तीय सहयोग के साथ तकनीकी मार्गदर्शन और परामर्श उपलब्ध करवाने से ही समय पर निश्चित लागत में परियोजना पूरी हो सकती है।अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों ने मध्यप्रदेश के प्रस्तावों पर सकारात्मक रूख अपनाते हुए उच्च, शिक्षा, जल संसाधन एवं स्वास्थ्य और सड़क अधोसंरचना के क्षेत्रों में निवेश सहयोग पर चर्चा की।अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की ओर से क्षेत्रीय उद्योग संचालक अधोसंरचना एवं प्राकृतिक संसाधन दक्षिण एशिया सुश्री अनिता जार्ज, मुख्य निवेश अधिकारी सार्वजनिक-निजी सहयोग विभाग श्री विपुल भगत और विश्व बैंक के प्रतिनिधि के रूप में कार्यक्रम अधिकारी जिल आर्मस्ट्रांग उपस्थित थी।